शिक्षकों को गैर-शिक्षण कार्यों से मुक्त रखना अत्यंत आवश्यक है

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It is very important to keep teachers free from non-teaching work
It is very important to keep teachers free from non-teaching work

जयपुर। हम सभी जानते हैं कि विद्यालय शिक्षा का मंदिर होता है और शिक्षक उस मंदिर के पुजारी। यदि इन पुजारियों को पूजा-पाठ छोड़कर बार-बार अन्य कार्यों में लगाया जाएगा, तो शिक्षा रूपी आराधना कैसे पूर्ण होगी?

प्रवासी संघ राजस्थान प्रदेश संयोजक भीम सिंह कासनियां का कहना है कि आज अनेक सरकारी विद्यालयों में देखा जा रहा है कि शिक्षकों को गैर-शिक्षण कार्यों जैसे सर्वे, जनगणना, चुनाव ड्यूटी, रैली, मीटिंग आदि में लगातार लगाया जा रहा है।

यह एक छोटा सा विषय प्रतीत होता है, लेकिन इसके परिणाम अत्यंत गहरे और दूरगामी हैं। एक शिक्षक का समय यदि विद्यालय के बच्चों की जगह सरकारी कार्यों में लगेगा, तो बच्चों की पढ़ाई स्वाभाविक रूप से प्रभावित होगी।

शिक्षा का वातावरण तभी सशक्त और जीवंत बन सकता है जब शिक्षक मानसिक रूप से निश्चिंत होकर केवल विद्यार्थियों के भविष्य निर्माण में लगें। हमें समझना होगा कि जब शिक्षक पूरे मन से केवल शिक्षा देंगे, तभी बच्चों की नींव मजबूत होगी, और देश का भविष्य उज्ज्वल।

इसलिए मेरी स्पष्ट राय है — शिक्षकों को गैर-शिक्षण कार्यों से मुक्त किया जाए, ताकि वे पूरी ऊर्जा और समर्पण से अपने वास्तविक कर्तव्य, यानी “शिक्षा”, को निभा सकें।

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