July 27, 2024, 11:19 am
spot_imgspot_img

जेकेके: स्थापना दिवस पर कलाकारों ने बिखेरे लोक संस्कृति के रंग

जयपुर । प्रदेश के सबसे बड़े कला एवं सांस्कृतिक केन्द्र जवाहर कला केन्द्र की स्थापना के 31 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर सोमवार को कला प्रेमियों में खासा उत्साह देखा गया। केन्द्र की ओर से आयोजित स्थापना दिवस समारोह के दूसरे दिन विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया जिनमें बड़ी संख्या में हिस्सा लेकर कला अनुरागियों ने केन्द्र के प्रति अपना लगाव जाहिर किया।

अलंकार दीर्घा में केन्द्र के 31 वर्षों के सफर को तस्वीरों के जरिए बयां किया गया तो स्फटिक गैलरी में केन्द्र के कला संग्रह ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। केन्द्र की ओर से आयोजित लोक नृत्य कार्यशाला के समापन में प्रतिभागियों ने गुरु के सबक को मंच पर जाहिर करते हुए गणगौर व घूमर नृत्य की प्रस्तुति दी। लोक सांस्कृतिक संध्या में प्रसिद्ध लोक गायिका सीमा मिश्रा और ग़ाज़ी ख़ान बरणा एवं समूह के मांगणियार कलाकारों ने राजस्थानी लोक संगीत की मधुरता फिजा में घोली।

डॉ. रूप सिंह शेखावत के निर्देशन में हुई लोक नृत्य कार्यशाला का समापन समारोह कृष्णायन सभागार में आयोजित किया गया। पारंपरिक वेशभूषा में तैयार 25 से अधिक प्रतिभागियों ने गणगौर के अवसर पर होने वाले नृत्य से प्रस्तुति की शुरुआत की। सभागार में ईसर और गणगौर की प्रतिमा भी विराजमान की गयी जिसके समक्ष ‘भंवर म्हाने पूजन दो गणगौर’, ‘हटीला हट छोड़ो’ गीत पर नृत्य कर सभी ने लोक संस्कृति के सौंदर्य से सराबोर कर दिया।

घूमर नृत्य के साथ प्रस्तुति का समापन हुआ। नृत्य निर्देशक डॉ. रूप सिंह शेखावत एवं सहायक प्रशिक्षक गुलशन सोनी भी इस दौरान मौजूद रहे। मुन्ना लाल भाट ने गायन किया व ढोलक पर विजेन्द्र सिंह राठौड़, तबले पर विजय बानेट ने संगत की। केन्द्र की अति. महानिदेशक सुश्री प्रियंका जोधावत ने सभी को स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कलाकारों की हौसला अफजाई की।

शाम को लोक संगीत के लालित्य से रूबरू होने के लिए कला अनुरागी रंगायन सभागार में जुटने लगे। प्रसिद्ध लोक गायिका सीमा मिश्रा ने अपने पारंपरिक लोक गायन और ग़ाज़ी ख़ान बरणा ने मांगणियार शैली गायन में जुगलबंदी कर श्रोताओं को एक अविस्मरणीय प्रस्तुति का अनुभव दिया। घूमर के साथ उन्होंने इस सुरीले सफर की शुरुआत की। ‘आलीजा बेगा आई जो’, ‘मैं तो रमवा ने आई सा’, ‘टूटे बाजूबंद री लूम’ सरीखे लोक गीतों के साथ दोनों ने मधुरता घोली।

इसके बाद वाद्य यंत्रों की धुनों ने अपना जादू चलाया। खड़ताल-ढोलक और मोरचंग की जुगलबंदी ने सभी को रोमांचित कर दिया। इसके बाद सभी सूफी तरानों ने श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। ‘दमादम मस्त कलंदर’ और ‘छाप तिलक’ गीत पर सभी झूमते नजर आए। ढोलक पर महेंद्र शर्मा, पवन डांगी, जस्सू खान, तबले पर सावन डांगी, की-बोर्ड पर हेमंत डांगी, ऑक्टोपैड पर वसीम ख़ान, भांवरू ख़ान लंगा ने सिंधी सारंगी, धानू ख़ान ने खड़ताल, मोरचंग, भपंग व दर्रे ख़ान ने गायन के साथ हारमोनियम पर संगत की।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

25,000FansLike
15,000FollowersFollow
100,000SubscribersSubscribe

Amazon shopping

- Advertisement -

Latest Articles