जयपुर। जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित सावन शृंगार उत्सव का शुक्रवार को समापन हुआ। सावन के सौंदर्य को समाहित करते हुए यह उत्सव संगीत और साहित्य के रंग से कला प्रेमियों को सराबोर कर गया। मूर्धन्य साहित्यकार प्रेमचंद की जयंती और सुरों के सरताज मो. रफ़ी की पुण्यतिथि को ध्यान में रखते हुए केन्द्र की ओर से इस उत्सव का आयोजन किया गया था।
तीन ताल में पेशकार के साथ प्रस्तुति की शुरुआत हुई। सारंगी की धुनों का अनुसरण करते हुए तबला, पखावज वादन किया गया। सितार और हारमोनियम की मंद ध्वनि ने प्रस्तुति को विशेष बनाया। खड़ताल वादक ने भी इन वाद्य यंत्रों के साथ संगत की। इसी के साथ विभिन्न पारंपरिक शास्त्रीय रचनाएं रेले, टुकड़े, सादा चकरदार, फरमाईशी चकरदार, परण कलाकारों ने इस वाद्य वृंद में प्रस्तुत की।
इन कलाकारों ने साझा किया मंच
अंतिम दिन शुक्रवार को मुजफ्फर रहमान और समूह के कलाकारों ने ताल वाद्य कचहरी की प्रस्तुति दी। मुजफ्फर रहमान समेत 15 कलाकारों ने अपने—अपने वाद्य यंत्र के साथ मंच साझा किया। इनमें मो. जमान, अकबर हुसैन, रमजान हुसैन, विकास राव, वेद प्रकाश शर्मा, मो. शोएब, मो. सनी, रहमान ने तबला, गोपाल खींची ने नगाड़ा, रमेश मेवाल ने हारमोनियम, मो. इरफान ने सितार, जाकिर हुसैन ने सारंगी, भुंगड़ खान ने खड़ताल, मंजुर खान ने ढोलक और ऐश्वर्य आर्य ने पखावज वादन किया।
गौरतलब है तीन दिवसीय उत्सव के पहले दिन संवाद प्रवाह, संगीत संध्या और दूसरे दिन मो. रफ़ी पर ऑडियो विजुअल प्रेजेंटेशन प्रस्तुत की गयी थी।