नेटथियेट पर लहर-ए-ग़ज़ल: आंधियां गम की चली तो संवर जाऊंगा,मैं तेरी जुल्फ नहीं हूं कि बिखर जाऊंगा

0
223
Lahar-e-Ghazal on Net Theatre
Lahar-e-Ghazal on Net Theatre

जयपुर। नेटथियेट कार्यक्रम की श्रृंखला में लहर-ए-ग़ज़ल कार्यक्रम में अजमेर शहर के उभरते ग़ज़ल सिंगर नवदीप सिंह झाला ने अपनी मखमली आवाज़ में सुप्रसिद्ध गजलों का गुलदस्ता पेश कर मौसिकी से रूबरू कराया। नेटथियेट के राजेन्द्र शर्मा राजू बताया कि कलाकार नवदीप ने अपने कार्यक्रम की शुरूआत सुप्रसिद्ध शायर राहत इंदौरी की गजल तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा करके, दिल के बाजार में बैठे हैं खसारा करके से की । इसके बाद उन्होंने बहादुर शाह जफर की एक ग़ज़ल आंधियां गम की चलेगी तो संवर जाऊंगा, मैं तेरी जुल्फ नहीं हूं कि बिखर जाऊंगा फिर शहजाद अहमद शायर की अपनी आंखों से लगता क्या है।

एक नजर मेरी तरफ भी तेरा जाता क्या है और शायर ताहिर फराज की गज़ल काश ऐसा मंज़र होता, मेरे कंधे पर तेरा सर होता को जब अपनी पुरकशिश आवाज में इन ग़ज़लों को सुनाया तो दर्शक वाह-वाह कर उठे और अंत में शायर नासिर काजमी की सुप्रसिद्ध गज़ल दिल में एक लहर सी उठी है अभी कोई ताजा हवा चली है अभी पेश कर अपनी गायिकी का परिचय दिया।

इनके साथ देश के जानेमाने तबला वादक गुलाम गौस ने अपनी उंगलियों का जादू दिखाकर गज़ल की इस महफिल को परवान चढाया। वायलिन पर अशोक पवार ने शानदार संगतकर कार्यक्रम को ऊंचाइयां दी ।
कार्यक्रम संयोजक नवल डांगी तथा कार्यक्रम में इम्पीरियल प्राइम कैपिटल के कला रसिक मनीष अग्रवाल की ओर से कलाकारों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। कैमरा मनोज स्वामी, संगीत संयोजन विनोद सागर गढवाल, मंच सज्जा जीवितेश शर्मा व अंकित शर्मा नानू की रही।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here