बेटर हाफ के साथ ही होता है जिंदगी का सफर पूरा

0
222
Life's journey is complete only with better half
Life's journey is complete only with better half

जयपुर। जवाहर कला केन्द्र की पाक्षिक नाट्य योजना के अंतर्गत शुक्रवार को नाटक बेटर हाफ का मंचन किया गया। चेतना रंग समूह के कलाकारों ने मंच पर कहानी को साकार किया। नाटक की परिकल्पना, लेखन व निर्देशन आशीष श्रीवास्तव ने किया है। राजस्थान में पहली बार हुआ यह नाटक प्रेम, करुणा, वियोग, स्वार्थ और परमार्थ के भावों की मिली जुली प्रस्तुति है।

नाटक की कहानी एक बंगाली वृद्ध जोड़े के इर्द-गिर्द घूमती है। प्रशांत और सुधा चटर्जी शादी के 30 साल बाद भी एक-दूसरे से बेहद प्यार करते हैं। इनका बेटा राहुल दूसरे शहर में नौकरी करता है। प्रेम की मिठास से सराबोर यादों के साथ दोनों जीवन गुजारते हैं। अचानक सुधा की तबीयत बिगड़ जाती है। डॉक्टर सुधा को ऑपरेशन की सलाह देता है। मन नहीं होने के बावजूद परिजनों के दबाव में सुधा सर्जरी करवाती है। यहां नाटक में दुखद मोड़ आता है और सुधा की जान चली जाती है।

प्रशांत अब सुधा के साथ बिताए हुए पलों में जीने लगता है। उसे सुधा के अपने पास होने का भ्रम होता है। निर्देशन की यही बारीकी रही कि नाटक भ्रम और वास्तविकता दोनों में चलता है। भ्रम में सुधा प्रशांत को धीरे-धीरे अहसास करवाने लगती है कि वह उसके शरीर में बसी है। प्रशांत के शरीर का आधा भाग उसका और आधा भाग सुधा का है इसलिए वह उसकी बेटर हाफ है। बाद में सामने आता है कि अस्पताल वालों की लापरवाही से सुधा की जान गयी है। प्रशांत अस्पताल के खिलाफ कानूनी जंग छेड़ देता है। उसे धमकी भरे खत भी मिलते है तो संचित धन भी जाता रहता है। अंत में प्रशांत केस जीत जाता है। प्रशांत को 20 लाख रुपए का मुआवजा मिलता है जिसे वह जरूरतमंदों में बांट देता है। इस तरह प्रशांत असमय काल का ग्रास बनी अपनी पत्नी को न्याय दिलाता है।

राजीव श्रीवास्तव ने प्रशांत, नीति श्रीवास्तव ने सुधा, विवेक त्रिपाठी ने राहुल का किरदार निभाया। अन्य कलाकारों में गौरव जोड़े, सुनीता अहिरे, आशीष ओझा, उत्कर्ष खरे शामिल रहे। प्रकाश परिकल्पना कमल जैन की रही, दिनेश नायर ने सेट डिजाइन किया, आशीष ओझा स्टेज मैनेजर रहे, पल्लवी श्रीवास्तव ने कॉस्ट्यूम डिजाइन तो आशीष श्रीवास्तव ने मेकअप संभाला।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here