मणिपाल के डॉक्टरों की टीम ने लगातार नौ दिनों इलाज कर नरेंद्र को बचाने में हासिल की कामयाबी

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Manipal's team of doctors succeeded in saving Narendra by treating him for nine consecutive days.
Manipal's team of doctors succeeded in saving Narendra by treating him for nine consecutive days.

जयपुर। दो गोलियां लगने के बावजूद अपराधियों से लोहा लेकर झोटवाड़ा स्थित बैंक लूट की वारदात को नाकाम करने वाले कैरियर नरेंद्र सिंह शेखावत लगातार नौ दिनों तक मौत से जूझते हुए जिंदगी की जंग जीत गए और सफल इलाज के बाद सोमवार को अस्पताल से डिस्चार्ज हुए। रियल हीरो बनकर उभरे नरेंद्र सिंह को अस्पताल लेने पहुंचे उनके परिजनों के चेहरे पर खुशी के भाव देखते ही बनते थे।इस दौरान उन्होंने नरेंद्र के इलाज करने वाली मणिपाल हॉस्पिटल के डॉक्टर और उनकी की टीम के प्रति नम आंखों से कृतज्ञता जाहिर की।

नरेंद्र के हॉस्पिटल से विदा होते समय वहां मौजूद हर कोई उनकी बहादुरी और साहस के चर्चे कर रहा था। नरेंद्र सिंह ने बताया कि उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत नहीं है और वह खुद को बेहतर महसूस कर रहे हैं। डॉ. प्रशान्त गर्ग-जनरल सर्जन, डॉ. डी.आर. धवन-यूरोलोजिस्ट, डॉ. सूनीत सक्सेना- ऐनेस्थिसिया, डॉ. वैभव वैष्णव-क्रिटिकल केयर, डॉ. रविप्रकाश-इमरजेंसी इंचार्ज की नरेद्र सिंह का इलाज करने में प्रमुख भूमिका रही।

बड़ी आंत का सफल इलाज एवं एक किडनी निकाली

50 वर्षीय नरेंद्र सिंह शेखावत को एक गोली सीने और दूसरी पेट में गोली लगी थी। वहीं एक गोली उन्हें छूते हुए निकल गई थी। गोली लगने से डैमेज हुई बड़ी आंत व किडनी के साथ ही में डायफम फेफड़े की झिल्ली भी फट गई । उन्हें सांस लेने में भी काफी दिक्कत हो रही थी। आपात स्थिति में मणिपाल हॉस्पिटल लाए गए नरेंद्र सिंह को लगातार नौ दिनों तक इलाज चला। आपातकालीन टीम के डॉ. प्रशान्त गर्ग- लेप्रोस्कोपिक सर्जन, डॉ. डी.आर. धवन- यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुनीत सक्सेना- ऐनस्थिसिया की टीम ने ऑपरेशन करके बडी आंत एवं किडनी में गोली लगने के कारण बढ़ते इंफेक्शन के बढ़ते खतरे को देखते हुए किडनी निकालकर उन्हें बचाने में सफलता हासिल की। ऑपरेशन के बाद नरेन्द्र को क्रिटिकल केयर विभाग मणिपाल हॉस्पिटल के ऑब्जर्वेशन में रखा गया। नरेंद्र की स्थिति अब बेहतर है और उन्हें छुट्टी दे गई है।

इस तरह चला घटनाक्रम, लूट की घटना का बताया आंखों देखा हाल

अपने शौर्य और साहस का परिचय देते हुए बैंक लूट की घटना को नाकाम करने वाली घटना का आंखों देखा हाल बताते उन्होंने बताया कि जान की परवाह किए बगैर लुटेरों से भिड़ गया। एक के बाद एक तीन फायर किए जाने के बावजूद मैंने एक डकैत को नहीं छोड़ा। नतीजा यह रहा कि लुटेरों को भागने पर मजबूर होना पड़ा लेकिन एक डकैत मौके पर ही पकड़ा गया। नरेंद्र सिंह के शिकंजे में फंसकर लुटेरे ने बचने के लिए नरेंद्र पर फायर कर दिया। लुटेरे ने कुल चार फायर किए जिसमें से दो गोलियां नरेंद्र सिंह को लगी जो पेट और पैर के पंजे में लगी, वहीं एक छूकर निकल गई। इससे एक लुटेरा नरेंद्र सिंह के हाथ से छूट गया लेकिन गंभीर घायल होने के बावजूद भी नरेंद्र ने अपने साहस का परिचय देते हुए लुटेरे को नहीं छोड़ा। एक लुटेरा बैंक छोड़कर गया जबकि दूसरे को नरेंद्र ने दबोच लिया।

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