सुहाग पर्व करवा चौथ आज: अखंड सुख-सौभाग्य के लिए निर्जल-निराहार रहकर पूजन करेंगी महिलाएं

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जयपुर। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी अर्थात करक चतुर्थी (करवा चौथ) का व्रत शुक्रवार को रखा जाएगा। अखंड सौभाग्य और दीर्घ दांपत्य सुख की कामना के लिए सुहागिन महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखेंगी।

शाम को महिलाएं मेहंदी रचे हाथों, लाल चूडिय़ों, सोलह श्रृंगार के साथ मां गौरी, भगवान शिव, गणेश और कार्तिकेय का पूजन करेंगी। पुष्प, अक्षत, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित कर करवाचौथ व्रत कथा का पाठ किया जाएगा। चंद्रोदय के समय महिलाएं चलनी से चंद्र दर्शन कर पति को देखकर जल ग्रहण करेंगी। मान्यता है कि इससे अखंड सौभाग्य, पुत्र-पौत्र की प्राप्ति और दीर्घायु का वरदान मिलता है।

चतुर्थी तिथि गुरुवार की रात 2.49 बजे से प्रारंभ हो गई जो शुक्रवार की रात 12.24 बजे तक रहेगी। चंद्रोदय 10 अक्टूबर की शाम 8.27 बजे होगा। ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि चंद्रमा मन के कारक होने के साथ औषधियों के गुणों को भी संरक्षित करते हैं। कार्तिक मास में औषधियां अपने सर्वोत्तम गुणों पर होती हैं, जिन्हें चंद्रमा की ऊर्जा प्राप्त होती है। इसलिए करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देना आयु, सौभाग्य और निरोगी काया प्रदान करता है। सुबह स्नान के बाद व्रती महिलाएं अपने पति के दीर्घायु, आरोग्य और अखंड सौभाग्य का संकल्प लें। शाम को शिव-पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित कर पूजा करें। मिट्टी या या धातु के करवे (10 या 13) में नैवेद्य अर्पित करें। कथा पाठ के बाद चंद्रोदय पर अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें।

बाजारों में जमकर बिके करवे-अन्य सामग्री

करवा चौथ व्रत सामग्री की खरीदारी के लिए गुरुवार को बाजारों में महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। महिलाओं ने चूड़ी, कंगन, बिंदिया, नेल पालिश, आर्टिफिशियल ज्वेलरी से लेकर डिजाइनर करवा और छलनी की खरीदारी की। पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखने वाली सुहागिनों ने साजन के नाम की मेहंदी लगवाई। मालवीयनगर, विद्याधर नगर, राजा पार्क, वैशाली नगर, मानसरोवर में मॉल के बाहर मेहंदी आर्टिस्ट देर शाम तक महिलाओं के हाथों पर मेहंदी लगाते रहे। राजस्थानी भरवां मेहंदी, छापा मेहंदी और ब्राइडल मेहंदी लगाने का क्रेज दिखा।

पूजन के लिए गोटा पत्ती वर्क और मिरर वर्क वाले करवे इस बार बाजार में छाए रहे। इसके अलावा छलनी पर भी लाल, पीला, हरा, गुलाबी कपड़ा लगाया गया है। गोटा पत्ती, किनारी वर्क से सजाकर छलनी को काफी आकर्षक बनाया गया है। महिलाओं ने परिधानों से मैचिंग चूड़ी-कंगन की खरीदारी की। चारदीवारी के बाजारों में दोपहर से देर रात तक महिलाओं ने करवा चौथ से जुड़े सामान की खरीददारी की। करवा चौथ पर मिट्टी के करवे में जल भरकर रात में चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। बनारस की चिताई वाले करवे, जयपुर की नक्काशी और कोलकाता के ओम और स्वास्तिक वाले करवे की मांग ज्यादा रही। स्टेटस सिंबल बने चांदी के करवे के अलावा पीतल के करवे भी बिके।

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