जयपुर। एपेक्स हॉस्पिटल्स समूह एवं इंडियन सोसायटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन (आईएससीसीएम) के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को जयपुर स्थित एक होटल में “इम्पैक्ट-2025, एक्स्ट्राकोरपोरिएल थेरेपी इन आईसीयू“ विषय पर एक दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। कांफ्रेंस में देशभर से 200 से अधिक चिकित्सकों ने हिस्सा लिया, जिसमें क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट एवं इंटेंसिविस्ट शामिल हुए।
वर्कशॉप में मुख्य रूप से आईसीयू में भर्ती मरीजों को एक्मो, सीआरआरटी, प्लाज्मा थैरेपी और फिल्टर जैसी नवीन तकनीक के माध्यम से बेहतर उपचार देने पर एक्सपर्ट चिकित्सकों ने विभिन्न सेशन्स एवं पैनल डिस्कशन्स में अपने विचार रखे।
कांफ्रेंस की शुरूआत में हॉस्पिटल के चेयरमेन डॉ. एसबी झॅवर, निदेशक शैलेश झवर, ऑर्गेनाइजिंग चेयरपर्सन डॉ. विपुल खंडेलवाल एवं सैक्रेट्री डॉ. प्रिया माथुर ने अतिथियों के सम्मान के साथ की। हॉस्पिटल के मेम्बर डॉ. गीतेश मंगल, डॉ. अमित मेहता, डॉ. अपूल माथुर और डॉ. वृजेश शाह ने आयोजन का कॉर्डिनेशन किया। कांफ्रेंस के दौरान सीनीयर प्रो. एनस्थिसिया डॉ. एसपी शर्मा और सीनीयर पल्पोनॉलोजिस्ट डॉ. एमएल गुप्ता को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। मुम्बई से डॉ. वेंकेट गोयल, दिल्ली से डॉ. विनोद के. सिंह और लखनऊ के डॉ. यश जावेरी ने संबोधित किया।
हज़ारों मरीजों को एक्मो से लाभ
वर्कशॉप में एक्मो तकनीक पर बोलते हुए डॉ. वेंकेट ने बताया कि सेल्फोस लिए हुए मरीज एवं ऑक्सीजन की कमी वाले मरीजो के लिए यह तकनीक जीवनदायिनी साबित हो रही है। उन्होंने कन्वेंशनल तकनीक के स्थान पर एक्मो तकनीक में मरीज का सर्वाइवल काफी बेहतर बताया। साल 2025 में ही अब तक हजारों मरीज को वैश्विक स्तर पर एक्मो दी जा चुकी है, जिनमें काफी बेहतर परिणाम मिले है। लो रेसिस्टेंट लंग्स के लिए एक्मो-2 , मॉलिक्यूलर बायलोजी, एक्मो के सभी आईसीयू में उपयोग आदि के बारे में बोलते हुए ऑर्गन ट्रांसप्लांट की बेकबोन बताया। कोविड के समय भी एक्मो के बेहतर परिणाम के बारे में उन्होंने बताया।
कम ब्लड प्रेशर में भी डायलिसिस
डॉक्टर्स ने बताया कि पहले कम बीपी में डायलिसिस नहीं हो पाता था लेकिन सीआरआरटी (कन्टीन्यूअस रिनल रिप्लेसमेंट थैरपी) के माध्यम से अब मरीजो का डायलिसिस संभव हो सका है, जिससे सैकडो जाने बचाई जा रही है। इसके साथ ही चिकित्सको ने शरीर में एंटीबॉडी बनने पर प्लाज्मा थैरेपी और गंभीर इन्फेक्शन की स्थिति में फिल्टर्स के उपयोग समेत विभिन्न एक्स्ट्राकोरपोरिएल तकनीक के माध्यम से मरीजो के लिए आ रहे सकारात्मक परिणामों के बारे में चिकित्सकों ने चर्चा की।