जयपुर। नायकड़ा-नायका लिख कर नायक समाज का अपमान किया जा रहा है और साथ ही इन अपमानसूचक शब्दों को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए। यह कहना है अखिल भारतीय नायक महासभा के प्रदेश अध्यक्ष एवं भाजपा एससी मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष रिटायर्ड आईएएस राजेन्द्र कुमार नायक का।
राजेन्द्र कुमार ने बताया कि नायक समाज देश के मूल निवासी हैं। यह आदिवासी समाज से हैं,जो भील समाज से हैं। फौज में रहने के कारण इन्हें नायक की पदवी मिली। जो कालांतर में जाति में परिवर्तित हो गई। आज के समय में इसे नायकड़ा,नायका लिख कर इस समाज का अपमान किया गया है। हमारी मांग है कि इन अपमान सूचक शब्दों को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए। हम मूल आदिवासी हैं और हमारे प्रमाण पत्र इसी वर्ग से मिलने चाहिए।
अखिल भारतीय नायक महासभा के राष्ट्रीय महासचिव ओम भाटी ने महासभा का परिचय दिया और समाज के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए राजनैतिक भागीदारी की मांग रखी और चेतावनी दी कि अगर नायक समाज को राजनीतिक भागीदारी नहीं दी जाती है तो इसका परिणाम आने वाले विधानसभा चुनाव और अगले वर्ष लोकसभा चुनाव में नोटा के रूप दिखेगा। उन्होंने कहा कि आज समाज जाग चुका है।
राजेन्द्र नायक ने मांग रखी कि महाराष्ट्र की तर्ज पर डीएनटी (डिनोटिफाइड नोमेडिक ट्राइब) जिसमें नायक समाज शामिल है, उन्हें अलग से 11 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। इस समाज के कई स्वतंत्रता सेनानी हुए हैं। जिनमें भीमा नायक, अचल सिंह नायक व अनेक गुमनाम नायकों ने स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी निभाई है। ऐसे में सरकारों को चाहिए कि गौरवशाली इतिहास में अपना योगदान दे चुके नायक समाज का समग्र विकास करके राष्ट्र की मुख्यधारा में लाया जाए। ताकि नायक समाज भी देशहित में अपना पूरा योगदान दे सके।
अखिल भारतीय नायक सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिनेश सिंह ने राजनैतिक दलों को चेताया कि एस टी का मुद्दा आचार संहिता से पहले सुलझाए और समाज को उचित राजनैतिक प्रतिनिधित्व आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में दिए जाने की पुरजोर मांग रखी।