अनोखी धाम नींब करौली मंदिर में नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा का आयोजन

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जयपुर। मानसरोवर के पत्रकार कॉलोनी में स्थित भास्कर एनक्लेव में नव निर्मित अनोखी धाम के हनुमंत स्वरुप नींब करौली बाबा मंदिर में नौ दिवसीय श्रीराम कथा का आयोजन 17 मई से किया जा जा रहा है। कथा का आयोजन सचिवालय लोक आयुक्त जस्टिट पीके लोहरा के सचिव श्याम सुंदर व्यास अपनी भजन मंडली के साथ कर रहे है। भजन मंडली में प्रख्यात भजन कलाकार मुकेश पारीक अपनी मधुर वाणी से श्रद्धालुओं को भजनों के माध्यम से मंत्र मुग्ध कर रहे है।

कथा वाचक श्याम सुंदर व्यास ने श्रीराम कथा के पांचवे दिन सुपर्ण खा की नाक ,सीता हरण और श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता के बारे के महत्तव के बारे में श्रद्धालुओं को विस्तार से समझाया गया। श्याम सुंदर व्यास ने बताया कि भगवान श्रीराम राजा होते हुए भी वनवास काटते हुए किस तरह हनुमान जी महाराज से मिले और किन कारणों के चलते उन्होने सुपर्ण खा की नाक काटी। कथा के पूर्व भजन कलाकार मुकेश पारीक ने लग तुम से लगा बैठे जैसे भजन पर श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबुर कर दिया।

27 मई को होगा भव्य आयोजन

अनोखी धाम आयोजन समिति के अध्यक्ष विनय शर्मा ने बताया कि मंदिर के परिसर में 27 मई को नींब करौली बाबा की यशोगाथा का भव्य आयोजन किया जाएगा। जिसके लिए प्रख्यात भजन कलाकार कोमल अमरावत नींब करौली बाबा के ऊपर नए भजनों की लॉचिंग करने में जुटी हुई है। 27 मई को प्रख्यात कथा वाचक महंत करणी प्रताप सिंह मशहुर भजन कलाकार किन्नू बन्ना व कोमल अमरावत के साथ नींब करौली बाबा की यशोगाथा का गुणगान करेंगे।

विशाल भंडारे का होगा आयोजन

विनय शर्मा ने बताया कि 27 मई को नींब करौली बाबा की यशोगाथा के समापन के बाद मंदिर परिसर में विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा। जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु पंगत प्रसादी ग्रहण करेंगे। बाबा की यशोगाथा के साथ ही हवन का आयोजन किया जाएगा। जिसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु हवन आहुति प्रदान करेंगे।

नवनिर्मित मंदिर के कई बार हो चुके है धार्मिक अनुष्ठान

बताया जा रहा है कि अनोखी धाम मंदिर के निर्माण को अभी एक महीना और तीन दिन हुए है। जिसमें मंदिर प्रांगण में तीन बार संगीतमय सुंदर कांड का भव्य आयोजन हो चुका है। इसी के साथ भारत पाकिस्तान के बीच उपजे विवाद में प्रदेश में अमन शांति के लिए हवन का आयोजन किया जा चुका है। जिसमें पूरे भास्कर एनक्लेव के स्थानीय लोगों ने भारतीय सैनिकों को विजय प्राप्त करने व दुश्मनों को धुल चटाने के लिए हवन आहुति प्रदान की है।

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