अब जयपुर में भी होगी रोबोटिक सर्जरी: डॉक्टर एसएस खत्री

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Now robotic surgery will be done in Jaipur also: Dr. SS Khatri
Now robotic surgery will be done in Jaipur also: Dr. SS Khatri

जयपुर। राजधानी जयपुर में भी अब रोबोटिक सर्जरी शुरू हो गई है। पहले राजस्थान एवं आसपास राज्यों के लोगों को रोबोटिक सर्जरी के लिए दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों में जाना पड़ता था। अब यह सुविधा जयपुर के मानसरोवर स्थित मंगलम प्लस मेडिसिटी हॉस्पिटल में आमजन के लिए उपलब्ध है। जयपुर में अब रोबोटिक सर्जरी करवाने के लिए राजस्थान के अलावा पंजाब, हरियाणा, बंगाल, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों से भी लोग आ रहे हैं।

हॉस्पिटल के सीनियर रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. एसएस खत्री ने बताया है कि आधुनिक लाइफ स्टाइल के कारण अब कम उम्र में घुटने के जोड़ों की समस्या बढ़ गई हैं जिसके कारण नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के परिणाम रोबोटिक सर्जरी से कहीं अधिक बेहतर हो गए हैं। यह प्रणाली सर्जन को 100 प्रतिशत सटीकता के साथ प्रत्यारोपण करने में मदद करती है। सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें हड्डी कम काटनी पड़ती है।

रोबोटिक हाथ स्वचलित रूप से कार्टिलेज की सही मात्रा को अपनी जगह से हटा देता है। वहीं रोबोटिक्स यह भी सुनिश्चित करता है कि इस प्रक्रिया के दौरान कम से कम मात्रा में लिगामेंट रिलीज हो, जिससे मरीज के कृत्रिम घुटने भी प्राकृतिक घुटने की तरह लगते हैं। रोबोटिक्स के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह टोटल, पार्शियल दोनों नी रिप्लेसमेंट के लिए उपलब्ध है।

हॉस्पिटल की डायरेक्टर नेहा गुप्ता ने कहा कि रोबोट सर्जरी एक नई इनोवेशन है, जिसने आर्थाेपेडिक्स के क्षेत्र में काफी बड़ा बदलाव किया है। यह रियल टाइम इंटेलिजेंसी पर काम करता है जिससे हर मरीज को कस्टमाइज सर्जरी के साथ सटीक परिणाम मिलते हैं। रोबोटिक नी रिप्लेसमेंट सर्जरी में प्रत्यारोपण से पहले ही पूरी प्लानिंग तैयार कर ली जाती है जिससे गलती की गुंजाइश बिल्कुल खत्म हो जाती है।

रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी से अधिक सटीक तरीके से इम्प्लांट प्लेसमेंट में मदद मिलती है। वहीं सर्जरी के दौरान टिशू को होने वाली क्षति और खून की हानि कम होती है। यह दर्द रहित सर्जरी है और सर्जरी से पहले सीटी स्कैन की आवश्यकता भी नहीं होती। सर्जरी के बाद अस्पताल में रहने की अवधि कम होती है। ऑपरेशन के बाद होने वाली जटिलताओं की संभावना भी कम होती है। इस तकनीक से मरीज की रिकवरी तेज होती है।

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