RLSDC के गठन की मांग को लेकर एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन शुक्रवार को

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One day Dharna-demonstration on Friday demanding the formation of RLSDC
One day Dharna-demonstration on Friday demanding the formation of RLSDC

जयपुर। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) की ओर से शुक्रवार को शहीद स्मारक पर आरएलएसडीसी के गठन की मांग को लेकर एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। राज्य के सभी विभागों, बोर्ड, निगम के ठेका कर्मचारियों को ठेकेदारों के शोषण से मुक्ति के लिए एक दिवसीय ध्यान आकर्षण धरना दिया जाएगा। इस एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन में प्रदेश भर से हजारों की संख्या में ठेका कर्मचारी शामिल होंगे।

कर्मचारी महासंघ एकीकृत के प्रदेशाध्यक्ष गजेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि ठेका कर्मचारियों के लिए बजट घोषणा में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राज्य भर के सभी ठेका कर्मचारियों को शोषण से मुक्ति के लिए रेक्सको की तर्ज पर राजस्थान लॉजिस्टिक सर्विस डिलिवरी कॉर्पाेरेशन (आरएलएसडीसी) के गठन की घोषणा की गई थी। लेकिन राज्य सरकार में आरएलएसडीसी के गठन की प्रक्रिया का कार्य धीमी गति से चल रहा है और आज तक अधिसूचना जारी नहीं की गई।

जिससे राज्य भर के ठेका कर्मचारियों में रोष व्याप्त है। कर्मचारियों में व्याप्त रोष को देखते हुए शुक्रवार को शहीद स्मारक पर एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन कर सरकार का ध्यान आकर्षण के लिए ज्ञापन दिया जाएगा। इस धरने में चिकित्सा पंचायतीराज सचिवालय, जन स्वास्थ्य उर्जा विभाग, आबकारी, कोष स्वायत शासन शिक्षा विभाग, कृषि व लेखा विभाग सहित राज्य के सभी सरकारी एवं बोर्ड निगम, आयोग के कर्मचारी भाग लेंगे। संगठन के ओर से पहले सरकार का ध्यानापकर्षण के लिए पहले एक दिवसीय धरना दिया जाएगा, यदि इसके बाद भी सरकार ने इस मामले पर सकारात्मक कदम नहीं उठाया तो संगठन की ओर से बड़ा आंदोलन किया जाएगा।

ठेका कर्मचारी संघ के नाथू सिंह गुर्जर ने बताया कि कई विभागों में 10 वर्ष से भी ज्यादा समय से कार्य कर रहे है उन्हें चार माह पूर्व अचानक हटाया जा रहा है। जिससे कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है और साथ ही अधिकारी कर्मचारियों को हटाने का भय दिखा कर लगातार बगैर साप्ताहिक अवकाश के कार्य करवा रहे है। इस वर्ग के कर्मचारियों को ठेकेदारों के द्वारा शोषण की पराकाष्ठा ही पार कर दी है। इन लोगों को 5-7 हजार का ही भुगतान किया जा रहा है।

जबकि सरकार ठेकेदारों को 17 से 30 हजार का प्रति कर्मचारी के हिसाब से बिल पास कर ठेकेदारों को पूंजीपति बना रही है। यही कारण है जिसकी वजह से सरकार आरएलएसडीसी का गठन करने में एक वर्ष का समय निकाल दिया है। इसमें सरकार में बैठे अधिकारी और ठेकेदारों की मिलीभगत के कारण शोषित वर्ग दुख पाकर गरीबी से भी नीची रेखा में अपने परिवार का पालन पोषण मुश्किल से कर पा रहा है।

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