जयपुर। पौष अमावस्या पर शुक्रवार को छोटीकाशी में दान-पुण्य की धूम रही। श्रद्धालुओं ने गंगाजल मिले पानी से स्नान कर पितरों के निमित्त काले तिल, जौ, चावल से तर्पण किया और श्राद्ध निकाला। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या को तर्पण करने से पितृ दोष समाप्त होता है तथा घर-परिवार में आने वाली बाधाएं, रोग और आर्थिक संकट दूर होते हैं। पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है और वे संतुष्ट होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। पौष मास के स्वामी सूर्य देव को अमावस्या पर चंदन-अक्षत मिले जल से अर्घ्य दिया गया।
महिलाओं ने पीपल वृक्ष की जड़ों में दूध मिले जल का सींचन कर परिक्रमा की। संध्या के समय सरसों के तेल का दीपक जलाया गया। पीपल में सभी देवी-देवताओं एवं पितरों का वास माना गया है। श्रद्धालुओं ने अपनी क्षमता अनुसार मंदिरों के बाहर, रैन बसेरों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर जरुरतमंदों को अन्न, वस्त्र, कंबल, गजक, तिल के लड्डू का दान किया।
गोविंद देवजी मंदिर में सजी विशेष झांकी:
आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक कर काले रंग की गर्म जामा पोशाक धारण कराकर फूलों और चंदन से श्रृंगार किया गया। विशेष व्यंजनों का भोग लगाया गया। राधा दामोदर जी, गोपीनाथ जी, लाड़लीजी, श्री सरस निकुंज सहित अन्य अनेक वैष्णव मंदिरों में अमावस्या पर ठाकुरजी की विशेष झांकी के दर्शन हुए।




















