तीर्थ यात्रियों ने कन्याकुमारी के श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में किया जिनाभिषेक

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Pilgrims performed Jinabhishek at Sri Shantinath Digambar Jain Temple in Kanyakumari
Pilgrims performed Jinabhishek at Sri Shantinath Digambar Jain Temple in Kanyakumari

जयपुर। श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन यात्रा संघ, जयपुर के तत्वावधान में दक्षिण भारत तीर्थ स्थल दर्शन करने के लिए गए 51 सदस्यीय धार्मिक यात्रा दल ने बुधवार को कन्या कुमारी के श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में जिन बिम्बों के जिनाभिषेक एवं शांतिधारा कर पुण्यार्जन किया। इस मौके पर स्थानीय जैन समाज की ओर से यात्रा दल में शामिल यात्रियों का भावभीना स्वागत व सम्मान किया।

आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर मीरा मार्ग के मंत्री राजेन्द्र सेठी के नेतृत्व, जम्बू सोगानी एवं अशोक सेठी के संयोजन में गये इस यात्रा दल के सदस्य बुधवार को प्रातः मंदिर पहुचे, जहां पुरुष सदस्यों ने शुद्ध केसरिया वस्त्र धारण कर मंत्रोच्चार के साथ भगवान शांतिनाथ, भगवान वासुपूज्य एवं भगवान मुनिसुव्रत नाथ की पद्मासन प्रतिमाओं के प्रथम अभिषेक किया । इस मौके पर मंदिर परिसर भगवान शांतिनाथ के जयकारों से गुंजायमान हो उठा।

अभिषेक उपरांत विश्व में सुख, शांति, समृद्धि और खुशहाली के लिए कामना करते हुए भगवान की शांतिधारा की गई। दल के विनोद जैन कोटखावदा, अशोक सेठी, जम्बू सोगानी, अशोक जैन आदि ने शांतिधारा का पुण्यार्जन किया । इस मौके पर महिला सदस्यों ने भगवान की अष्ट द्रव्य से भक्ति भाव से पूजा अर्चना की। कन्याकुमारी जैन मंदिर के प्रतिनिधि सचिन जैन ने सभी के तिलक लगाकर स्वागत किया। इस मौके पर यात्रा दल की ओर से मंदिर में दान राशि भेंट की गई। आरती के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ।

यात्रा दल ने कन्याकुमारी में प्रातः सूर्योदय का सुन्दर व मनमोहक नजारा देखा। समुद के अन्दर चट्टान पर बना हुआ विवेकानन्द रॉक मेमोरियल एवं विवेकानन्द केन्द्र का अवलोकन किया। जहां स्वामी विवेकानंद ने 1893 में शिकागो में विश्व धार्मिक सम्मेलन में जाने से पहले यहां ध्यान लगाया था। इसके साथ ही दूसरी चट्टान का भी अवलोकन किया। कन्याकुमारी देवी के प्रसिद्ध मंदिर के दर्शन करने के बाद यात्रा दल त्रिवेन्द्रम स्थित कोवलम् बीच के लिए प्रस्थान किया ।

इससे पूर्व यात्रा दल ने मदुरई में नागामलाई रॉक मंदिर, मिनाक्षी अम्मान मंदिर, रामेश्वरम् में रामानाथ स्वामी मंदिर, सेतु ब्रिज व अन्य ऐतिहासिक महत्व के स्मारकों तथा अन्य तीर्थ स्थलों का भ्रमण किया । भारत के अन्तिम छोर से समुद्र पार 18 किलोमीटर दूर श्री लंका के लाइट हाऊस आदि का नजारा दुरबीन से देखा।

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