जयपुर। केदारनाथ के पास गौरीकुंड क्षेत्र में रविवार को श्रद्धालुओं को ले जा रहे हेलीकॉप्टर क्रैश में जयपुर के शास्त्री नगर निवासी पायलट राजवीर सिंह की मौत हो गई थी। सोमवार देर रात उनका शव जयपुर पहुंचा और जिसके बाद मंगलवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम दर्शन के लिए उनके घर और गांव में सुबह से ही लोगों का तांता लगा रहा। जैसे ही राजवीर का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, हर आंख नम हो गई। जयपुर से लेकर केदारनाथ तक इस हादसे ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। राजवीर की पत्नी दीपिका भी लेफ्टिनेंट कर्नल हैं और अंतिम यात्रा में दीपिका आर्मी यूनिफॉर्म पहने नजर आईं। जो पति की फोटो लेकर चल रही थीं।
पति को आखिरी विदाई देते हुए दीपिका ने उन्हें सैल्यूट भी किया। राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे। शव यात्रा के दौरान हजारों की संख्या में ग्रामीण और परिजन ‘अमर रहे राजवीर भैया’ के नारों के साथ शामिल हुए। इस मौके पर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। वहीं मोक्षधाम में आर्मी के अधिकारियों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी। राजवीर के भतीजे ने उन्हें मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार के बाद गांव की चौपाल पर सभी गणमान्य लोगों और ग्रामीणों ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी।
राजवीर सिंह जैसे सच्चे और ईमानदार इंसान की कमी कभी पूरी नहीं हो सकती:मंत्री राज्यवर्धन सिंह
अंतिम यात्रा में कैबिनेट मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ भी विशेष रूप से पहुंचे। उन्होंने शोकाकुल परिवार को ढांढस बंधाया और राजवीर सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर उन्होंने कहा, “राजवीर सिंह जैसे सच्चे और ईमानदार इंसान की कमी कभी पूरी नहीं हो सकती। उनका इस तरह जाना पूरे जयपुर और प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है। भगवान उनके परिवार को इस असीम दुख को सहन करने की शक्ति दे।”
अंतिम यात्रा में नगर निगम जयपुर की महापौर सौम्या गुर्जर, पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, कर्मचारी संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता और ग्रामीण शामिल हुए। अंतिम यात्रा में जयपुर की सरस डेयरी के चेयरमैन सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों और समाज के गणमान्य लोगों ने भी पहुंचकर श्रद्धांजलि दी।
राजवीर सिंह बेहद मिलनसार और ईमानदार
ग्रामीणों ने बताया कि राजवीर सिंह बेहद मिलनसार, ईमानदार और हर किसी की मदद के लिए हमेशा तैयार रहने वाले इंसान थे। वे कई वर्षों से अपने बूढ़े माता-पिता, पत्नी और बच्चों का सहारा थे। हादसे से दो दिन पहले ही उन्होंने अपने गांव के एक निर्धन परिवार की बच्ची की पढ़ाई का खर्च उठाने का वादा किया था।