धमकी का मेल दौड़ा रहा पुलिस-प्रशासन को, हर बार निकल रहा झूठा

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जयपुर। धमकी भरा मेल प्रदेश की पुलिस और प्रशासन को जमकर दौड़ा रहा है। हर बार की भांति रविवार को अस्पतालों को बम से उड़ाने का इस बार भी मेल की सूचना झूठी निकली। रविवार को प्रदेश के 100 को अस्पतालों को बम से उड़ाने का धमकी भरा मेल मिला। इस पर प्रशासन हरकत में आया और आनन-फानन में सर्च अभियान शुरू किया। तलाशी में कहीं भी कुछ संदिग्ध नहीं मिला, तब जाकर पुलिस और प्रशासन ने राहत की साहस ली।

जानकारी के अनुसार रविवार को राजधानी के मोनिलेक और सीके बिरला समेत राजस्थान के 100 से ज्यादा हॉस्पिटल को बम से उड़ाने की धमकी का मेल मिला। सुबह साढ़े आठ से दोपहर डेढ़ बजे तक पुलिस की टीमों ने संबंधित हॉस्पिटल में सर्च ऑपरेशन चलाया। इससे पहले भी कई बार मेल करके बम से उड़ाने की धमकी दी जा चुकी है। हर बार पूरा मामला झूठा साबित होता है। यह मेल सुबह करीब साढ़े आठ बजे अस्पताल प्रशासन को मिला। मेल ने हॉस्पिटल प्रबंधन के होश उड़ा दिए थे।

मेल में लिखा था कि हॉस्पिटल के बेड के नीचे और बाथरूम के अंदर बम है। हॉस्पिटल में मौजूद सभी लोग मारे जाएंगे। हर तरफ खून ही खून होगा। तुम सभी लोग मौत के ही लायक हो। मेल करने वाले ने खुद की पहचान ‘लखा आतंकवादी चिंग और कल्टीस्ट’ के रूप में उजागर किया है। शहर के दर्जनभर से ज्यादा हॉस्पिटल को इस तरह की धमकी मिली थी। सूचना मिलने के बाद पुलिस पहुंच गई और सर्च शुरू किया। मोनीलेक हॉस्पिटल जवाहर नगर (जयपुर) के सेक्टर 4 में स्थित है। सीके बिरला हॉस्पिटल गोपालपुरा मोड़ (जयपुर) पर त्रिवेणी फ्लाई ओवर के पास शांति नगर में है।

एडिशनल पुलिस कमिश्नर लॉ एंड ऑर्डर कुंवर राष्ट्रदीप ने बताया कि हॉस्पिटल्स से जानकारी मिली है। इसके बाद में एटीएस और बम निरोधक दस्ता के अधिकारियों को भेजकर तलाशी ली गई, लेकिन तलाशी में कुछ भी नहीं मिला।मेल करने वाले का आईपी एड्रेस सर्च किया जा रहा है। एक ही ईमेल आईडी से 100 से ज्यादा हॉस्पिटल को एक साथ धमकी दी गई। अगर कोई वाकई टारगेट करता, तो एक या दो या कुछ गिने-चुने हॉस्पिटल को ईमेल भेजता।

ईमेल भेजने वाले का मकसद कोई बड़ी घटना करना नहीं होता है। वो सिर्फ लोगों के मन में डर पैदा करना चाहता है। जयपुर में जवाहर नगर स्थित मोनिलेक, शिप्रापथ स्थित सी के बिरला, करणी विहार में मानस , मालवीय नगर में अपेक्स और मालवीय नगर के रुंगटा अस्पताल को बम से उड़ाने की ध्माकी मिली थी। सभी की तलाशी ली गई, लेकिन तलाशी में कुछ नहीं मिला।

सबसे पहले मोनिलेक से मिली मेल की जानकारी

सुबह सबसे पहले 8.30 बजे मोनिलेक हॉस्पिटल से पुलिस को मेल के बारे में सूचना मिली। करीब 8.45 बजे पुलिस की टीम मोनिलेक हॉस्पिटल पहुंच गई। एटीएस, इमरजेंसी रिस्पांस टीम (ईआरटी) और बम निरोधक दस्ता ने सर्च अभियान शुरू किया है। इसे दौरान 9 बजे सीके बिरला से भी सूचना मिली। इसके बाद मोनिलेक हॉस्पिटल से करीब 10.30 बजे ईआरटी टीम सीके बिरला हॉस्पिटल पहुंची। यहां भी सर्च चल रहा है।

तीन महीने पहले स्कूलों को मेल कर दी गई थी धमकी

तीन महीने पहले जयपुर सहित तमाम शहरों के स्कूलों को मेल कर बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। पुलिस ने तमाम स्कूलों की जांच की थी। कहीं से भी किसी संदिग्ध वस्तु के मिलने की सूचना नहीं मिली थी। इस घटना से ठीक एक दिन पहले जयपुर सहित देश के 12 एयरपोर्ट को भी बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। पिछले कुछ महीने में मेल कर धमकी देने की लगातार घटनाएं सामने आ रही हैं। किसी थाना स्तर की पुलिस ऐसे आरोपियों तक पहुंच सकती है। पुलिस के पास जांच के लिए पर्याप्त सॉफ्टवेयर और संसाधन मौजूद हैं। लेकिन इनका उपयोग नहीं किया जा रहा है।

जांच अधिकारी इन टूल्स का प्रशिक्षण लेने के बावजूद उपयोग नहीं करते हैं। वीपीएन का उपयोग करने पर पुलिस को सीबीआई और इंटरपोल की मदद ली जा सकती है। ऐसा नहीं है कि इनका पता नहीं लगाया जा सकता है। यह एक लंबी प्रक्रिया होती है, लेकिन जांच केवल थाना स्तर पर छोड़ दी जाती है। जबकि एजेंसी की मदद लेने के लिए पुलिस को हायर लेवल पर काम करने की जरूरत है।

डार्कनेट और प्रॉक्सी सर्वर का बढ़ रहा दुरुपयोग

साइबर क्राइम की दुनिया में डार्कनेट और प्रॉक्सी सर्वर का दुरुपयोग भी बढ़ रहा है। साइबर सिक्योरिटी एंड लॉ एक्सपर्ट मोनाली कृष्णा गुहा कहती हैं कि इस तरह के ई-मेल भेजने के दौरान शातिर अपराधी अमूमन डार्कनेट या प्रॉक्सी सर्वर का इस्तेमाल करते रहे हैं। इसकी वजह से पुलिस जांच को किसी नतीजे तक पहुंचने में काफी समय लगता है।

वीपीएन से लोकेशन छिपाने के कारण ऐसे आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बच जाते हैं। वीपीएन के जरिए कोई भी अपनी लोकेशन चेंज कर सकता है। ऐसे में ई-मेल रिसीवर को लगता है कि ई-मेल भेजने वाला किसी दूसरे देश में हैं। अपराधी अपनी लोकेशन हाइड करने के लिए दूसरे देशों का वीपीएन यूज करते हैं। जैसे जयपुर और दिल्ली दोनों केस में रूसी सर्वर से ई-मेल भेजना बताया जा रहा है।

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