जयपुर। ज्ञान भारतम् राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन, नई दिल्ली; राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर तथा विश्वगुरु दीप आश्रम शोध संस्थान, जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 15 दिवसीय पाण्डुलिपि लिप्यन्तरण कार्यशाला के पञ्चम दिवस में पाण्डुलिपि सम्पादन से जुड़े विविध पक्षों पर चार विशिष्ट सत्र सम्पन्न हुए।
प्रथम सत्र में डॉ० घनश्याम हरदैनियां ने आयुर्वेद पाण्डुलिपि सम्पादन में संस्कृत भाषा की अनिवार्यता पर बल देते हुए सम्पादन प्रक्रिया को सरल व रोचक ढंग से प्रतिभागियों के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने पाठान्तर, त्रुटि-संशोधन व भाषिक शुद्धता जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से चर्चा की।
द्वितीय सत्र में डॉ० रामदेव साहू ने प्रदोष व्रत धर्मशास्त्र से संबंधित पाण्डुलिपि पर आधारित व्यावहारिक सत्र का संचालन किया। इसमें शोधार्थियों को धर्मशास्त्रीय ग्रन्थों की शैली और संरचना को समझने और सम्पादन में प्रयुक्त होने वाली पद्धतियों पर कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ।
तृतीय सत्र में डॉ० सुरेन्द्र कुमार शर्मा ने सन्ध्या रहस्य पाण्डुलिपि के पाठ्य-संशोधन, पाठान्तर तुलना एवं अन्वय-विश्लेषण पर आधारित अभ्यास करवाया, जिससे प्रतिभागियों को सम्पादन की तकनीकी दृष्टियों को समझने का मार्गदर्शन मिला।
अंतिम सत्र में पाण्डुलिपि विशेषज्ञ श्री जयप्रकाश शर्मा ने तिथि निर्णय पाण्डुलिपि में प्रयुक्त कूटाक्षरों की व्याख्या करते हुए सम्पादन कार्य कराया। उन्होंने पंचाङ्गीय गणना, तिथि निर्धारण तथा काल-निर्णय की विधियों को व्याख्यायित कर प्रतिभागियों को विषय की गहराई से अवगत कराया।
दिनभर चले इन सत्रों के माध्यम से प्रतिभागियों ने पाण्डुलिपि सम्पादन की बारीकियों का व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त किया। कार्यशाला में शोधार्थियों की सहभागिता और जिज्ञासु प्रवृत्ति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।