जयपुर। ब्रज की तरह छोटीकाशी जयपुर भी इन दिनों श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की तैयारियों में जुटी है। कृष्ण जन्मभूमि मथुरा, वृंदावन की तरह यहां भी उल्लास और उमंग कृष्ण भक्ति हिलोरे ले रहे हैं। जयपुर के सभी प्रमुख कृष्ण मंदिरों में सजावट और भजन-कीर्तन के कार्यक्रम चरम पर हैं। आराध्य देव गोविंद देव जी मंदिर पूरी तरह सज कर तैयार है। लाखों भक्तों के उमड़ने के चलते यहां व्यवस्थाएं मजबूत की जा रही है।
चौड़ा रास्ता स्थित राधा दामोदर जी, पुरानी बस्ती के गोपीनाथ जी, इस्कॉन टेंपल, अक्षय पात्र सहित अन्य विभिन्न मंदिरों में भक्तों का उत्साह आसमान छू रहा है। इस बार कान्हा का जन्मदिन दिव्य और भव्य बनाने के लिए मंदिरों में खास सजावट की जा रही है। 16 अगस्त की रात 12 बजे जब लाला अवतरित होंगे तब मंदिरों में भी शंखनाद, घंटानाद और नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की के जयघोष गूंजेंगे।
जयपुर के सभी प्रमुख मंदिरों में सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए गए हैं। अनुमान है कि लाखों भक्त जन्माष्टमी के पर्व पर जयपुर के मंदिरों में दर्शन करने आएंगे। 16 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का मुख्य आयोजन होगा। 17 अगस्त को नंदोत्सव की धूम रहेगी। भक्ति, उल्लास और रंग-बिरंगी सजावट से सजे गुलाबी नगर में इस बार जन्माष्टमी एक अविस्मरणीय अनुभव बनने जा रही है।
श्री प्रेमभाया मंदिर में जन्माष्टमी उत्सव:
श्री प्रेमभाया मंडल समिति की ओर से मंदिर श्री प्रेमभाया सरकार, श्री हरि युगल विहार, चंदलाई, टोंक रोड में जन्माष्टमी उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। समिति के सरंक्षक विजय किशोर शर्मा ने बताया कि 16 अगस्त को मंदिर को विशेष रोशनी और पताकाओं से सजाया जाएगा। शाम 7:30 बजे से भक्ति संगीत प्रारंभ होगा। मध्यरात्रि 12 बजे श्री प्रेमभाया सरकार का वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पंचामृत अभिषेक किया जाएगा।
समिति के अध्यक्ष दुर्गा चौधरी ने बताया कि 17 अगस्त को शाम 4:15 से रात्रि 9 बजे तक नंदोत्सव मनाया जाएगा। जयलाल मुंशी का रास्ता चांदपोल बाजार स्थित युगल कुटीर में भी 16 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। शाम 7:30 से मध्य रात्रि 12 बजे तक भक्ति संगीत रहेगा। मध्य रात्रि को श्री प्रेमभाया सरकार की जन्म आरती की जाएगी इस अवसर पर फूल बंगले की झांकी सजाई जाएगी।
रोहिणी नक्षत्र-अष्टमी का संयोग नहीं
इस बार श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं होगा। दोनों का संचरण समय अलग-अलग समय रहेगा। इस बार रोहिणी नक्षत्र का क्षय हो रहा है। क्योंकि यह सूर्योदय के बाद शुरू होकर अगले दिन सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगा। इसलिए उदयकाल में रोहिणी नक्षत्र का योग नहीं बन रहा है।
ज्योतिषाचार्य पं. सुरेन्द्र गौड़ के अनुसार भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त की मध्य रात्रि से प्रारंभ होकर 16 अगस्त को रात्रि 11 बजे तक रहेगी। लेकिन उदियात में अष्टमी तिथि होने के कारण 16 अगस्त को ही श्रीृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। 16 अगस्त की सुबह करीब सवा आठ बजे तक भरणी नक्षत्र और उसके बाद कृतिका नक्षत्र रहेगा। वहीं, रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त की सुबह करीब साढ़े बजे प्रारंभ होकर 18 अगस्त को ब्रह्मवेला तक रहेगा, लेकिन तब दशमी तिथि होगी।