सावन माह की पुत्रदा एकादशी 5 अगस्त को

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Devuthani Ekadashi on November 12
Devuthani Ekadashi on November 12

जयपुर। सावन माह की दूसरी एकादशी 5 अगस्त मंगलवार को भक्तिभाव से मनाई जाएगी। इसका नाम पुत्रदा और पवित्रा एकादशी भी है। मान्यताओं के आधार पर एकादशी व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए किया जाता है। पुत्रदा एकादशी व्रत से संतान से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं, जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्मों के अशुभ फल खत्म होते हैं, जीवन में पवित्रता आती है।
पंडिज राजेंद्र शास्त्री ने बताया कि पुत्रदा एकादशी वर्ष में दो बार आती है।

एक सावन मास के शुक्ल पक्ष में और दूसरी पौष मास के शुक्ल पक्ष में । सावन शिव जी की पूजा का महीना है और एकादशी तिथि के स्वामी भगवान विष्णु है। ऐसे में सावन और एकादशी के योग में भगवान शिव और श्रीहरि का अभिषेक एक साथ करना चाहिए। पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से भक्त को उत्तम संतान की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। इस व्रत से संतान को सफलता मिलती है।

ऐसे करें पुत्रदा एकादशी का व्रत

पंडित राजेंद्र शास्त्री ने बताया कि पुत्रदा एकादशी के व्रत की शुरुआत दशमी तिथि से हो जाती है। 4 अगस्त को दशमी तिथि प्रारंभ होगी, ऐसे में शाम को सात्विक भोजन करना चाहिए। एकादशी वाले सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहने और घर के मंदिर में भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा-अर्चना करें।

पूजा में धूप, दीप, फूल-माला, बिल्व पत्र, आंकड़े के फूल, धतूरा, चावल, रोली और नैवेद्य सहित कुल 16 सामग्री भगवान को अर्पित करे। पूजा के दौरान भगवान विष्णु को तुलसी चढ़ाएं, शिव जी को नहीं। तुलसी दल विष्णु पूजा का अभिन्न अंग है, लेकिन शिव पूजा में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

पूजा के बाद पुत्रदा एकादशी की कथा का पाठ करें और अंत में आरती करें। पूजा में भगवान के सामने एकादशी व्रत करने का संकल्प लें। दिनभर निराहार रहें, भूखे रहना संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं। शाम को भी भगवान विष्णु की पूजा करें। अगले दिन सुबह जल्दी उठें और विष्णु पूजा करें। इसके बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं, फिर खुद भोजन करें। इस तरह एकादशी व्रत पूरा होता है।

दीपदान और दान का महत्व

पुत्रदा एकादशी पर भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए किसी पवित्र नदी, सरोवर में स्नान करे । स्नान के बाद नदी में दीपदान करने की परंपरा है। अगर नदी स्नान करना संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को दान देना भी व्रत का एक अनिवार्य अंग है। दान देने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और व्रत का फल दोगुना हो जाता है।

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