जयपुर। छोटीकाशी में श्राद्ध पक्ष में पितरों के निमित्त श्रीमद् भागवत और रामकथाओं के आयोजन परवान पर है। एक दर्जन से अधिक स्थान पर अभी कथाओं का दौर चल रहा है। इसी कड़ी में झोटवाड़ा के आदर्श विद्या मंदिर खेल मैदान में विश्व मंगलम सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित मानस मंगल महोत्सव में व्यासपीठ से मदन मोहन महाराज ने मंगलवार को विविध लीलाओं का श्रवण कराया। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने वनवास के दौरान अनेक लोगों का उद्धार किया। कम क्षमता वाले लोगों को अपने साथ जोड़ा। भगवान राम का सामिप्य पाकर वानर और भालू स्वयं को धन्य महसूस कर रहे थे।
इससे पूर्व उन्होंने कहा कि जैसे भगवान श्रीराम का जीवन श्रेष्ठ है उसी प्रकार भरत का भी जीवन बहुत ही श्रेष्ठ है। भरत ने राजसी वैभव को त्याग कर राजसिंहासन मिलने के बावजूद भी उस पर अपना अधिकार नहीं बताते हुए बड़े भाई भगवान श्रीराम को ही राजा मानकर खड़ाऊ को अयोध्या का सिंहासन मानकर राज्य चलाया। उन्होंने अपने भाई राम के प्रति अटूट भक्ति, धर्म परायणता और भाई प्रेम का उदाहरण प्रस्तुत किया जिसे आज भी अनुकरणीय माना जाता है।