जयपुर। दशहरे का पर्व इस बार दो अक्टूबर को धूमधाम से मनाया जाएगा। राजधानी जयपुर में इस पर्व की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं। वहीं जयपुर शहर के आदर्श नगर, शास्त्री नगर, मानसरोवर, प्रताप नगर,टोंक रोड, सोडाला, राजापार्क,गुर्जर की थड़ी, आतिश मार्केट सहित कई जगहों पर रावण व कुंभकरण के पुतले नजर आने लगे है। जहां कारीगर बांस, कागज और कपड़े से विशालकाय रावण के पुतले बनाने में जुटे हैं। राहगीर भी इन रंग-बिरंगे पुतलों को देखकर ठहर जाते हैं और कारीगरों की कला की प्रशंसा करते हैं। बताया जा रहा है कि इन रावण व कुंभकरण के पुतले तैयार करने में करीब डेढ से दो सौ परिवार जुटे हुए हैं।
बारिश और महंगाई की चुनौती
हालांकि इस बार कारीगरों के सामने सबसे बड़ी चुनौती बारिश और महंगाई की है। मौसम विभाग ने अधिक बारिश की संभावना जताई है, जिससे पुतलों को सुरक्षित रखना मुश्किल हो सकता है। वहीं कागज की कीमत दोगुनी हो गई है और बांस की दरों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसका सीधा असर रावण के पुतलों की लागत पर पड़ा है।

कीमतों में बढ़ोतरी
महंगाई के कारण इस बार रावण पुतलों की कीमतों में इजाफा हुआ है। छोटे पुतले 3 से 5 हजार रुपये तक, जबकि बड़े पुतले 20 से 50 हजार रुपये तक बिकने की उम्मीद है। जयपुर में इस बार 250 रुपये से लेकर 60 हजार रुपये तक के पुतले तैयार किए जा रहे हैं।
सबसे ऊँचा 55 फीट का पुतला 60 हजार रुपये तक का है, वहीं 25 से 30 फीट तक के पुतले 20 से 30 हजार रुपये में बिकेंगे। खासतौर पर बच्चों के लिए स्टाइलिश छोटे पुतले भी बनाए जा रहे हैं, जिनकी कीमत 250 से 300 रुपये तक रखी गई है।

सांस्कृतिक उत्साह बरकरार
महंगाई और बारिश की आशंका के बावजूद लोगों का उत्साह बरकरार है। जयपुर के विभिन्न इलाकों—मानसरोवर, झोटवाड़ा, आदर्श नगर और विद्याधर नगर सहित अन्य इलाकों में इस बार भी भव्य रावण दहन कार्यक्रम आयोजित होंगे। आयोजन समितियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं और लोग दशहरे के पर्व का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
रावण दहन : असत्य पर सत्य की विजय
दशहरा सिर्फ रावण दहन का पर्व नहीं, बल्कि सत्य की असत्य पर विजय का प्रतीक है। बारिश और महंगाई की चुनौतियों के बावजूद जयपुरवासी इस पर्व को धूमधाम से मनाने के लिए तैयार हैं। इस बार रावण के पुतले भले ही महंगे हों, लेकिन उनका दहन फिर से समाज में बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देगा।

इस बार दशहरे से उम्मीदें
रावण बनाने वाले कारीगर और कारोबारियों को इस बार दशहरे से बड़ी उम्मीदें हैं। वे चाहते हैं कि रावण की अच्छी बिक्री हो, ताकि वे दिवाली के बाद अपने परिवार की बहन-बेटियों की शादियों और अन्य जरूरतों की तैयारी कर सकें।