शौर्य एवं ज्ञान का महासंगम” कार्यक्रम का पोस्टर विमोचन

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जयपुर। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज की प्रेरणा से आयोजित होने वाले भव्य समारोह “शौर्य एवं ज्ञान का महासंगम – राणा पूंजा जयंती एवं महर्षि वाल्मीकि प्रकट दिवस समारोह” का पोस्टर विमोचन शुक्रवार को जयपुर में हुआ। यह विमोचन राष्ट्रीय चयनित दल न्याय अधिकार परिषद के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास नरवार, शिक्षाविद् एवं समाजसेवी सुदीप तिवारी तथा सर्व ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित सुरेश मिश्रा द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इस अवसर पर शिक्षाविद् डॉ. संदीप जोशी सहित अनेक सामाजिक प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

पोस्टर विमोचन अवसर पर बोलते हुए विकास नरवार ने कहा कि यह आयोजन समाज के शौर्य और ज्ञान दोनों पक्षों को एक साथ जोड़ने का प्रयास है। राणा पूंजा (भील) मेवाड़ के महान योद्धा थे। जिन्होंने महाराणा प्रताप के साथ मिलकर मातृभूमि की रक्षा के लिए अतुलनीय पराक्रम दिखाया। वे केवल एक योद्धा नहीं, बल्कि सामाजिक एकता, साहस और स्वाभिमान के प्रतीक हैं। वहीं महर्षि वाल्मीकि जी का जीवन ज्ञान, सेवा और साधना का प्रतीक है, जो हमें यह सिखाता है कि जब शक्ति और ज्ञान का संगम होता है, तब समाज की दिशा उज्ज्वल होती है।

इस अवसर पर शिक्षाविद् एवं समाजसेवी सुदीप तिवारी ने कहा कि आज समाज में आवश्यकता है ऐसे आयोजनों की जो इतिहास, संस्कृति और सामाजिक मूल्यों को पुनः जाग्रत करें। उन्होंने कहा कि “शौर्य एवं ज्ञान का महासंगम” केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह समाज में एकता, सहयोग और प्रेरणा का मंच है। इस आयोजन के माध्यम से युवा पीढ़ी अपने गौरवशाली अतीत से परिचित होगी और समाज में समरसता तथा राष्ट्रीय एकता का संदेश सशक्त रूप से पहुँचेगा।

सर्व ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित सुरेश मिश्रा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत की सांस्कृतिक धारा की सबसे बड़ी विशेषता उसकी समरसता और संतुलन है। उन्होंने कहा कि “राणा पूंजा (भील) जैसे वीरों और महर्षि वाल्मीकि जैसे महापुरुषों का स्मरण केवल इतिहास नहीं, बल्कि प्रेरणा है — यह आयोजन नई पीढ़ी में धर्म, कर्तव्य और राष्ट्रभाव की चेतना जगाने का कार्य करेगा।” उन्होंने आयोजन समिति को इस सामाजिक एकता के अभियान के लिए शुभकामनाएं दीं।

इस अवसर पर उपस्थित शिक्षाविद् डॉ. संदीप जोशी ने कहा कि शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे समाज में विचारों की पवित्रता और व्यवहार की मर्यादा आती है। उन्होंने कहा कि “ऐसे आयोजनों से न केवल युवाओं में आत्मगौरव की भावना जागती है, बल्कि यह इतिहास और संस्कृति को जीवन से जोड़ने का कार्य करते हैं।”

कार्यक्रम के प्रवक्ता श्री राजकुमार स्वामी ने जानकारी दी कि यह आयोजन 12 अक्टूबर 2025 को जयपुर के युथ हॉस्टल जनपथ रोड पर होगा। इस कार्यक्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, संत समाज के अनेक महात्मा, समाजसेवी, शिक्षाविद्, महिला प्रतिनिधि और युवा बड़ी संख्या में उपस्थित रहेंगे। समारोह के मुख्य आकर्षणों में राणा पूंजा (भील) के जीवन पर विशेष प्रस्तुति, महर्षि वाल्मीकि प्रकट दिवस उत्सव, शौर्य एवं ज्ञान सम्मान समारोह, संत प्रवचन और सामूहिक स्वस्तिवाचन शामिल होंगे। पूज्य स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज का प्रेरणादायक संदेश कार्यक्रम के प्रारंभ में वाचन किया जाएगा।

आयोजन समिति ने बताया कि यह कार्यक्रम धर्म, समाज और संस्कृति की वह त्रिवेणी है, जो एक और राणा पूंजा (भील) की वीरता और देशभक्ति को सम्मान देती है, तो दूसरी ओर महर्षि वाल्मीकि जी के ज्ञान और आदर्शों को जनमानस में पुनः स्थापित करती है। “शौर्य एवं ज्ञान का महासंगम” समाज में समरसता, संस्कार और राष्ट्रीय एकता की नई चेतना जगाने का कार्य करेगा।

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