
जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर सभी को शुभकामनाएं दी। इसके तहत किए जा रहे कार्यक्रमों के राजनीतिकरण एवं केंद्र की भाजपा सरकार पर राष्ट्रगीत “वंदे मातरम्” की 150वीं वर्षगांठ के ऐतिहासिक मौके का उपयोग स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत को कमजोर करने के प्रयास पर चिंता व्यक्त की है।
जयपुर स्थित अपने आवास पर आयोजित प्रेस वार्ता में गहलोत ने आरोप लगाते हुए कहा कि ये लोग विरासत को समाप्त करना चाहते हैं। आज़ादी की शानदार विरासत त्याग, तपस्या और कुर्बानी की परंपरा को भुलाने की कोशिश की जा रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा को धर्म के नाम पर सत्ता में आने का मौका मिला है, पर उसके मायने ये नहीं कि कांग्रेस की विरासत को समाप्त करने का काम करें।
उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस का स्वतंत्रता आंदोलन से कोई संबंध नहीं रहा। अंग्रेजों के शासन में वे उनसे मिले हुए थे। उन्होंने दशकों तक तिरंगा नहीं लगाया। संविधान को नहीं माना और महात्मा गांधी व डॉ. अंबेडकर के पुतले जलाए। सरदार पटेल ने स्वयं आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था और अब ये सरदार पटेल पर अपना अधिकार जमा रहे हैं।“
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस की विरासत वही है जो देश के स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत है जिसका उन्हें गर्व है तथा स्पष्ट किया किया कि “किसी को अधिकार नहीं कि वह इस विरासत को समाप्त कर दे और आने वाली पीढ़ियां केवल आरएसएस या भाजपा को ही इतिहास में याद रखें। यह हमें मंजूर नहीं होगा।“
गहलोत ने कहा कि “ये ( आरएसएस-भाजपा) आत्म ग्लानि में हैं। इनका विश्वास कभी संविधान में नहीं रहा। वंदे मातरम् 1896 में स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रेरणा गीत बन गया, और कलकत्ता अधिवेशन में पहली बार गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर ने इसे गाया। तब से यह गीत कांग्रेस की ब्लॉक कमेटी, जिला समिति या अधिवेशन हर जगह नियमित रूप से गाया जाता रहा है।”
उन्होंने आरएसएस द्वारा “नमस्ते सदा वत्सले” गाने पर कहा कि आपका गीत तो नमस्ते सदा वत्सले है तथा पूछा कि कभी आरएसएस की शाखाओं में वंदे मातरम् गाया है क्या, कभी वंदे मातरम् की चर्चा भी की क्या?
उन्होंने वर्षगांठ मनाने के फैसले की सराहना की लेकिन साथ में कहा कि “हम चाहेंगे कि 150वीं जयंती ऐसे मनाई जाए कि पूरा देश सम्मिलित हो हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, जैन सभी की भागीदारी हो। इसको लेकर किए जा रहे सरकारी कार्यक्रमों को भाजपा का कार्यक्रम न बनाकर सभी को साथ लेने वाला कार्यक्रम बनाएं।



















