जयपुर। वैशाख कृष्ण चतुर्थी बुधवार, 16 अप्रेल को संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। इसे संकट हारा या सकट चौथ के नाम से भी जाना जाता है। महिलाएं व्रत रखकर भगवान गणेश की आराधना करेगी। रात्रि 10:02 मिनट पर चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाएगा। महिलाएं सुबह गणेशजी और चौथ माता की पूजा कर चौथ माता की कथा सुनेंगी।
ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि विकट संकष्टी चतुर्थी पर सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग दिन भर है। इसके साथ ही भद्रावास योग का भी संयोग है। इस शुभ अवसर पर शिववास योग का भी संयोग है। इस दिन देवों के देव महादेव कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही आर्थिक तंगी दूर होगी।
मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलती है, और उनकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। यह व्रत भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाने वाला माना जाता है। उल्लेखनीय है कि एक साल में संकष्टी चतुर्थी के 12 से 13 व्रत होते हैं, जो हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आते हैं। हर चतुर्थी का अपना विशेष महत्व होता है और भगवान गणेश के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है।
करियर और कारोबार में तरक्की और उन्नति पाने के लिए भगवान गणेश की पूजा करने की सलाह दी जाती हैं। भगवान गणेश की पूजा करने से व्यापार के दाता बुध देव प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा साधक पर बरसती रहती है।
व्रत की विधि और पूजन:
संकष्टी चतुर्थी का व्रत सूर्योदय से शुरू होकर चंद्र दर्शन तक रखा जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा स्थल को साफ कर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान को दूर्वा, मोदक, फूल और दीप अर्पित करें। दिनभर व्रत रखें और शाम को चंद्र दर्शन के बाद पूजा सम्पन्न करें। इस दौरान भगवान गणेश के मंत्र और स्तुति का पाठ करें।