दुर्गापुरा में सरस्वती माताजी ससंघ का पिच्छिका परिवर्तन समारोह सानंद का आयोजन

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जयपुर। भारत गौरव आचार्य रत्न 108 देशभूषण महामुनिराज की सुशिष्या गणिनी आर्यिका 105 सरस्वती माताजी ससंघ के 32वें चातुर्मास उपरान्त भव्य पिच्छिका परिवर्तन समारोह श्री दिगम्बर जैन मंदिर चन्द्रप्रभ जी दुर्गापुरा में सानंद संपन्न हुआ। इस मौके पर बडी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रकाश चांदवाड एवं मंत्री राजेन्द्र काला ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ नेमीचंद – मंजू सोनी परिवार जामडोली वालों ने चित्र अनावरण दीप प्रज्वलन कर किया। कार्यक्रम के भोजन पुण्यार्जक शिखर चंद मनोज कुमार कासलीवाल परिवार रहे।

महिला मंडल की ओर से सुंदर नृत्य प्रस्तुति के साथ मंगलाचरण प्रस्तुत किया। परंपराचार्यों को अर्घ्य महिला मंडल, ट्रस्ट तथा आगंतुक अतिथियों द्वारा समर्पित किए गए।सभी भक्तों ने एवं महिला मंडल ने झूमते हुए अष्ट द्रव्य से गणिनी आर्यिका 105 सरस्वती माता की पूजा की। माताजी ने आशीर्वचन में कहा कि पिच्छिका परिवर्तन में मन का परिवर्तन हो, अपने विचारों को परिवर्तित कर संयम की ओर बढ़ने का यह दिन है। पिच्छिका में पांच गुण होते हैं। मृदुता अर्थात कोमलता, सुकुमारता (अहिंसा का पालन), हल्कापन, पसीना ग्रहण न करना और धूल मिट्टी ग्रहण न करना।

नव युवाओं को धर्म के प्रति आस्था जाग्रत करने के लिए, बालकों में जैन संस्कारों का बीजारोपण करने के लिए, अहिंसा के महत्व को दर्शाने के निमित्त से पिच्छिका का परिवर्तन कार्यक्रम का आयोजन विशाल स्तर पर किया जाता है। पुरानी पिच्छिका घर में रखने से वैराग्य की प्रेरणा मिलती है।

गणिनी आर्यिका 105 सरस्वती माताजी को पिच्छिका भेंट किया गया। आर्यिका अनंतमती माताजी को पिच्छिका, शास्त्र एवं वस्त्र भेंट किए गए। इस अवसर पर समाज के कई गणमान्य लोगों का सम्मान किया गया। अंत में जिनवाणी स्तुति से कार्यक्रम का समापन हुआ।

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