जयपुर। कलावर्त प्रेरणा श्रीमाली कथक केंद्र जयपुर द्वारा आयोजित “सत्त्व कथक उत्सव” ने महाराणा प्रताप सभागार जयपुर में शास्त्रीय नृत्य प्रेमियों को एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान किया। यह विशेष संध्या कथक के शुद्ध, पारंपरिक और सात्त्विक स्वरूप की गहन प्रस्तुति रही, जिसने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत गुरु प्रेरणा श्रीमाली जी द्वारा रचित गणेश परण की सधी हुई पढ़ंत और तुलसीदास रचित राम स्तुति से हुई, जिसने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। इसके बाद क्रमशःतीनताल विलंबित में मनीषा गुलयानी और मनस्विनी शर्मा का प्रभावशाली युगल,ताल धमार में मनस्विनी शर्मा का सशक्त एकल,राग मालकौंस में तराना पर मीना रेड्डी और बृजकिशोर सक्सेना का मोहक युगल,तथा अभिनय ठुमरी और तीनताल द्रुत लय में मनीषा गुलयानी का ऊर्जावान एकल प्रदर्शन ने मंच को अद्वितीय ऊर्जा से भर दिया।
अंत में सभी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत अतिद्रुत तत्कार ने पूरे सभागार में जोश और उत्साह का वातावरण बना दिया। इस संध्या में प्रस्तुत तराना महान गुरु कुंदनलाल गंगानी द्वारा रचित था, जबकि अभिनय ठुमरी पारंपरिक रचना “छाड़ो छाड़ो जी बिहारी, नारी देखे सगरी” पर आधारित रही।
कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में साहित्यकार श्री अशोक वाजपेयी जी ने अपने विचार साझा किए, जिन्होंने कथक की शास्त्रीयता, उसकी गहराई और समय की प्रासंगिकता पर प्रभावशाली विमर्श प्रस्तुत किया।
संध्या की गरिमा को तबला पर परमेश्वर कथक, पखावज पर प्रवीण आर्य, सितार पर मोहम्मद इरफान, और गायन व नग़मा में मुन्नालाल भाट की संगत ने और भी ऊँचाई प्रदान की।
कलावर्त, पिछले साढ़े तीन वर्षों से गुरु प्रेरणा श्रीमाली जी के मार्गदर्शन में, जयपुर में कथक की शास्त्रीय परंपरा, उसके संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है। “सत्त्व कथक उत्सव” इस सतत साधना और सृजनशीलता का प्रतीक बनकर सामने आया है, जिसमें गुरू-शिष्य परंपरा की आत्मा को सजीव रूप में मंच पर उतारा गया।