जयपुर। शनि 29 मार्च 2025 से कुंभ राशि की अपनी यात्रा को छोडक़र मीन राशि में प्रवेश करेंगे। यहां पर ये आने वाले करीब ढाई वर्ष तक रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र के नजरिए से यह बड़ा घटनाक्रम है, इसलिए इसे इस साल के सबसे बड़े राशि परिवर्तन के रूप में देखा जा रहा है। ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा के अनुसार वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शनि को क्रूर ग्रह माना जाता है। शनि अगर किसी जातक की कुंडली में अच्छे नहीं हैं तो जातक के जीवन तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शनि सभी ग्रहों में सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं।
सभी ग्रहों में शनि ही ऐसे ग्रह हैं जिनके पास साढ़ेसाती और ढैय्या है। लेकिन शनि हमेशा बुरे फल ही नहीं देते बल्कि शनि अगर कुंडली में शुभ हैं तो जातक को रंक से राजा भी बना देते हैं। शनि कर्मफल दाता और न्यायाधीश हैं। ये व्यक्तियों को उनके कर्मों के आधार पर शुभ-अशुभ फल प्रदान करते हैं। शनिदेव को दंडित करने का अधिकार प्राप्त हैं इसलिए इन्हें दण्डाधिकारी का दर्जा प्राप्त है। शनिदेव मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं और यह तुला राशि में उच्च के और मेष राशि में नीच के होते हैं।
शनि की चाल 2025:
वैदिक ज्योतिष में शनि को सबसे धीमी चाल से चलने वाला ग्रह माना गया है। शनि किसी एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करने के लिए करीब ढाई साल का समय लेते हैं। शनि अभी अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में हैं और 29 मार्च को गुरु के स्वामित्व वाली राशि मीन में गोचर करने वाले हैं। शनि कुंभ राशि में ढाई वर्षों के बाद रहने के बाद मीन राशि में प्रवेश करेंगे।
साल 2025 में शनि की साढ़ेसाती:
शनि जब भी राशि गोचर करते हैं तो इसके साथ ही कुछ राशि पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या लग जाती है और कुछ पर खत्म हो जाती है। शनि की साढ़ेसाती साढ़े सात साल और ढैय्या ढाई वर्ष की होती है। शनि जब 29 मार्च को मीन राशि में प्रवेश करेंगे तो मकर राशि वालों पर चल रही साढ़ेसाती खत्म हो जाएगी वहीं, मेष राशि वालों पर साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू हो जाएगा। इसके अलावा मीन राशि वालों पर साढ़ेसाती का दूसरा चरण और कुंभ राशि वालों पर साढ़ेसाती का अंतिम चरण शुरू हो जाएगा। अगर शनि की ढैय्या की बात करें तो धनु राशि पर ढैय्या शुरू हो जाएगी और वृश्चिक राशि पर खत्म हो जाएगी।