जयपुर। ज्योतिष शास्त्र में निहित तथ्यों को समसामयिक स्वरूप में समाज के समक्ष प्रस्तुत करते हुए वास्तु शास्त्रीय परंपरा को प्रायोगिक दृष्टि से लोकोपयोगी बनाने के उद्देश्य से एक दिवसीय इंटरनेशनल एस्ट्रो वास्तु कॉन्फ्रेंस- 2025 नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद में आयोजित की जाएगी। अनेक जाने-माने ज्योतिष, वास्तु, वैदिक एवं टैरो रीडर विशेषज्ञ प्रतिभागियों को मार्गदर्शन प्रदान करेंगे। देश-विदेश के लगभग 500 विद्वान भाग लेंगे। बाहर से आए हुए सभी विद्वानों के ठहरने की व्यवस्था आयोजन स्थल पर ही की जाएगी।
सम्मेलन का शुभारंभ जयपुर के आराध्य देव श्री गोविंद धाम में विराजित श्री गोविंद देव जी के मंगला दर्शन से होगा। प्रवेश केवल निमंत्रण के आधार पर ही प्रवेश होगा। उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी, श्री सरस निकुंज के अलबेली माधुरी शरण महाराज, कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय, विधायक बालमुकुंद आचार्य, रेणुका पुण्डरीक गोस्वामी, गोवत्स विठ्ठल महाराज, आचार्य शुभेष शरमन, जी.डी. वशिष्ठ, प्रो. डॉ. केदार शर्मा, प्रो. विनोद शास्त्री, डॉ. महेन्द्र मिश्रा, अनिल कुमावत और हरमित चावला कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे।
विद्वानों के विचारों से मिलेगा मार्गदर्शन
ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि भारतीय शास्त्र अपनी उत्पत्ति काल से ही पूर्व जन्मार्जितं कर्मों की वर्तमान जीवन में परिणति को भाग्य स्वरूप में आकाशस्थ ग्रह, राशि-नक्षत्रों के परस्पर संबंध द्वारा प्रस्तुत करता हुआ जीवन में शुभाशुभ फलों का सूचक होता है तथा जीवन के संभाव्य अशुभों का ज्ञान कर उनसे निवृत्ति का शास्त्रानुकूल उपाय भी प्रदान करता है। परंतु इन फलों की पूर्ण प्राप्ति में भारतीय वास्तुशास्त्र की भी महती भूमिका होती है, क्योंकि ज्योतिष और वास्तु दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं और दोनों का लक्ष्य प्रकृति मूलक विकास एवं प्राणी मात्र का कल्याण है।
उन्होंने कहा कि भारतीय वास्तु के सिद्धांत पर निर्मित गृह में सनातन धर्मानुकूल नियमों का पालन करते हुए ही हम शुभ फलों की पूर्ण प्राप्ति कर सकते हैं तथा अशुभ फलों का निवारण कर सकते हैं। उन्हें परस्पर पूरक सिद्धांतों के अनुसार ही ज्योतिष शास्त्र प्राचीन काल से समाज को नई दिशा देता आया है।




















