जयपुर। शारदीय नवरात्र सोमवार से शुरू होंगे। आमेर के शिला माता, मनसा देवी, दुर्गापुरा के दुर्गा माता, पुरानी बस्ती के रुद्र घंटेश्वरी, घाटगेट के काली माता और झालाना डूंगरी के प्रमुख देवी मंदिरों में शुभ मुहूर्त में घट स्थापना होगी।
कनक घाटी, आमेर रोड स्थित ठिकाना मंदिर श्री गोविंद देव जी के मातहत श्री देवी मनसा माता मंदिर में शारदीय नवरात्र महोत्सव श्रद्धालुओं के भक्ति भाव से मनाया जाएगा। इस वर्ष देवी मां हाथी पर विराजमान होकर मंदिर में पधारेंगी।
सोमवार: सुबह 8.30 से दोपहर 12 बजे तक घट स्थापना, श्री शारदीय दुर्गा देवी कल्पारंभ, विहित पूजा, व्रत, चण्डी पाठ, श्रृंगार, भोग, आरती एवं पुष्पांजलि संपन्न होगी। प्रतिदिन चण्डी पाठ, श्रृंगार, भोग, आरती और पुष्पांजलि आयोजित होंगे।
23 से 27 सितंबर: द्वितीया से पंचमी तक नियमित कार्यक्रम होंगे।
28 सितंबर, षष्ठी: सुबह 8.30 बजे षष्ठी कल्पारंभ; शाम 7.30 से रात्रि 8.30 बजे अधिवास।
29 सितंबर, सप्तमी: सुबह 7 बजे चण्डी पाठ, श्रृंगार, भोग, आरती और पुष्पांजलि।
30 सितंबर, अष्टमी: महाअष्टमी पूजन, संधि पूजन दोपहर 1.21 बजे, 108 नीलकमल अर्पण और बलिदान 1.45 बजे; पूजन 2.09 बजे संपन्न। दुर्गा पाठ, श्रृंगार, भोग, आरती और पुष्पांजलि होंगे।
1 अक्टूबर, नवमी: महा विशेष पूजन, कन्या पूजन, बटुक पूजन, हनुमान पूजन, पूर्णाहुति और पुष्पांजलि।
2 अक्टूबर, दशमी: अपराजिता पूजन, घट विसर्जन और मां दुर्गा का डोला (झूला) पर गमन के साथ नवरात्र महोत्सव का समापन।
यह रहेंगे मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य बनवारी लाल शर्मा के अनुसार घट स्थापना के लिए प्रातः काल का समय श्रेष्ठ है। इस वर्ष आश्विन शुक्ल प्रतिपदा सोमवार को सूर्योदय 06:19 बजे होगा। द्विस्वभाव कन्या लग्न एवं अमृत का चौघड़िया 06:19 से 07:49 बजे तक घट स्थापना के लिए उत्तम है। इसके अलावा अभिजित मुहूर्त 11:56 से 12:44 बजे भी शुभ रहेगा। प्रातः 09:19 से 10:49 बजे के शुभ चौघड़िये में भी घट स्थापना की जा सकती है।
गलता गेट स्थित श्री गीता गायत्री जी मंदिर में पंडित राजकुमार चतुर्वेदी के सानिध्य में प्रातः 7.11 बजे घंटे-घड़ियाल बजाकर महा आरती एवं घट स्थापना की जाएगी। माता गीत गायत्री जी को पंचामृत और विभिन्न तीर्थ जल से अभिषेक करने के बाद नई लाल पोशाक धारण करा कर श्रृंगार किया जाएगा।
गोविंद देवजी मंदिर के सेवाधिकारी मानस गोस्वामी ने बताया कि पूरे नवरात्र में श्रद्धालुओं के लिए पूजा, आरती और भोग के कार्यक्रम नियमित रूप से संपन्न होंगे।