महामंत्रों की आहुतियां से गूंजा श्री भागवत कथा स्थल

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Shri Bhagwat Katha Sthal resonated with the offerings of Mahamantras
Shri Bhagwat Katha Sthal resonated with the offerings of Mahamantras

जयपुर। भूरा पटेल मार्ग स्थित अजय विहार, वैशाली नगर वेस्ट, लालरपुरा में चल रही भागवत कथा महोत्सव का विश्राम हुआ। आयोजन में जिला प्रमुख रमा चोपड़ा एवं समाजसेवी मोतीराम चोपड़ा सहित अनेक गणमान्य लोगों की उपस्थित रहीं। कथा के समापन पर हवन यज्ञ और भंडारे का आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं ने पहले हवन यज्ञ में आहुति डाली और फिर प्रसाद ग्रहण कर पुण्य कमाया।

भागवत कथा के विश्राम पर कथा व्यास पंडित मुरारी लाल शर्मा ने इस संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव में भक्तों को भवसागर से पार कराने वाली श्रीमद भागवत कथा की महिमा का विशेष महत्व बताया। उन्होंने लोगों से भक्ति मार्ग से जुड़ने और सत्कर्म करने को कहा। इस मौके पर महाराज श्री ने कहा कि हवन-यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है।

दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं। यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। श्रीमद भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। इस मौके पर उन्होंने भंडारे के प्रसाद का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है।

पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन बुद्धि व चित को निर्मल कर देता है। मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान का लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है।

कथा समापन पर भक्त धर्मपाल चौधरी ने सुख शांति की कामना करते सभी देवों का आह्वान किया और सपत्निक विधि विधान से पूजा करवाई गई। हवन में महामंत्रों के साथ आहुतियां प्रदान की। आयोजन में आए अन्य श्रद्धालुओं ने भी हवन में आहुति डाली। भागवत पोथी पूजन के बाद सभी ने भागवत भगवान की आरती में भाग लिया। इस मौके पर पूरा भागवत कथा स्थल भगवान के जयकारों से गुंजायमान हो गया।

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