रामचंद्र मंदिर में श्री भरत मिलाप परिक्रमा सोमवार को

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Shri Bharat Milap Parikrama at Ramchandra Temple on Monday
Shri Bharat Milap Parikrama at Ramchandra Temple on Monday

जयपुर। चांदपोल स्थित ठिकाना मंदिर श्री रामचंद्र में भाद्रपद की तेरस सोमवार को जयपुर की पहली भरत मिलाप परिक्रमा निकाली जाएगी। यह परिक्रमा मंदिर स्थापना के समय से 131 वर्ष से निरंतर निकाली जा रही है। इस परिक्रमा की विशेष बात ये है कि चारो भाई शीशम की लकड़ी से बने रथ पर विराजमान होकर निकलते है। इस रथ का निर्माण जयपुर के राजघराने ने कराया था था और आज भी सफेद बैलों की जोड़ी ही इस रथ को खींचती है।

सांगानेरी गेट स्थित हनुमान मंदिर में होगा विशेष आयोजन

भरत मिलाप परिक्रमा सोमवार शाम 6 बजे चांदपोल स्थित श्रीरामचंद्र जी मंदिर से रवाना होगी । चांदी के विशाल सिंहासन,कटघर सिंह खंभ,तकिए, कुर्सिया,मखकल के कपडे और बंदरवाल से सजे धजे रथ में सवार होकर भरत एवं शत्रुघ्न जी के स्वरुप सांगानेरी गेट स्थित हनुमान जी मंदिर पहुंचेगे। जहां पर श्रीराम जी एवं भरत के मिलाप का अद्भुत कार्यक्रम होगा।

सांगानेरी गेट स्थित मंदिर प्रांगण में होगा भव्य स्वागत

श्रीराम चंद्र से मिलने के बाद भरत जी श्रीराम जी की आरती पूजन करेंगे। जिसके पश्चात उनको राजश्री वेस्ट धारण कराया जाएगा। जिसके बाद रथ वाहं से पूरे शाही लवाजमें के बाद भजन कीर्तन करते हुए मंदिर प्रांगण पर ठहरेगा। स्थानीय निवासी व व्यापारी गण रथ का भव्य स्वागत करेंगे।

यहां से शुरु होगी शोभायात्रा

जिसके पश्चात भरत परिक्रमा सांगानेरी गेट हनुमान जी मंदिर से रवाना होकर बड़ी चौपड़, त्रिपोलिया गेट,छोटी चौपड़ से होते हुए मंदिर श्रीराम चंद्र जी चांदपोल पहुंचेगी। शोभायात्रा रास्ते में पड़ने वाले सभी मुख्य मंदिरों पर रुकेगी। जहां पर श्रीराम जी के रथ का स्वागत किया जाएगा व आरती की जाएगी।

चांदपोल स्थित मंदिर पर होगा भव्य स्वागत

सभी प्रमुख मंदिरों से होते हुए भरत मिलाप परिक्रमा पून चांदपोल स्थित मंदिर श्रीराम चंद्र ही पहुंचेगी। जहां पर रथ में रवार श्रीराम दरबार के स्वरुपों का भव्य स्वागत किया जाएगा और आरती की जाएगी।

दस वर्ष के बालक ही होते श्रीराम दरबार का स्वरुप,साहू परिवार के यहां से आती है बैंलों की जोड़ी

महंत नरेंद्र कुमार तिवारी ने बताया यह परिक्रमा सिर्फ भादवे की तेरस के दिन ही निकल जाती है उन्होंने बताया कि यह रथ शीशम की लाल भूरी लकड़ी से बना हुआ है इसके जैसे-जैसे यह रथ पुराना होता जाता है इसकी नसें और मजबूत हो जाती है पानी में भी इसका कुछ नहीं बिगड़ाता। रथ में लकड़ी एवं लोहे का भरपूर इस्तेमाल किया गया है रथ की कमानिया कुर्सी पहिए जाली आदि सब लकड़ी के बने हुए हैं।

श्री राम दरबार का स्वरूप केवल 10 वर्ष तक के बालक ही लेते हैं जो ब्राह्मण परिवार से होते हैं नाहरगढ़ के रास्ते स्थित जगन्नाथ जी के मंदिर से ही वह बालक बुलाए जाते हैं बैलों की जोड़ी जगन्नाथ साहू जी के परिवार के यहां से आती है। यह परंपरा को चलते 131 वर्ष हो चुके हैं।

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