जयपुर। आदर्श नगर स्थित श्री राम मंदिर में चल रही श्री रामलीला के अंतर्गत पुष्प वाटिका ,गिरिजा पूजन ,धनुष यज्ञ और श्री राम जानकी विवाह की लीला का मंचन हुआ। प्रभु श्री राम और लक्ष्मण गुरु विश्वामित्र की आज्ञा पाकर पूजा के लिए पुष्प लेने चले। पुष्प वाटिका में सुंदर बगीचे और सरोवर देख भगवान हर्षित हुए। तभी वहां सीता जी अपनी सखियों संग गिरिजा जी की पूजा करने आईं ।सीता जी ने लता की ओट से प्रभु को देखा और माता जी के मंदिर में जाकर प्रार्थना की कि उन्हें श्री रामचंद्र जी ही पति के रूप में प्राप्त हों।
माता गौरी ने आशीर्वाद दिया मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरो। करुना निधान सुजान सिलु सनेहु जानत रावरो।अर्थात जिसमें तुम्हारा मन अनुरक्त हो गया है, वही स्वभाव से सुंदर सांवला वर श्री रामचंद्र तुमको मिलेगा। वह दया के खजाने और सुजान हैं । तुम्हारे शील और स्नेह को जानते हैं।ऐसा आशीर्वाद पाकर सीताजी हर्षित हुईं । सीता जी के स्वयंवर में कई स्थानों के राजा महाराजा पहुंचे थे ।मिथिला नगरी में जनक नंदिनी सीता जी का स्वयंवर रचा हुआ था।
स्वयंवर की शर्त थी भगवान शिव के धनुष पिनाक को उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाना ।कई पराक्रमी राजाओं और वीरों ने प्रयास किया परंतु शिव जी के धनुष को कोई हिला तक नहीं सका ।इसी बीच अयोध्या के राजकुमार प्रभु श्री राम गुरु विश्वामित्र संग पधारे। जनक दरबार में श्री राम ने सहज भाव से उस दिव्य धनुष को उठाया और प्रत्यंचा चढ़ाने का प्रयास किया ।उसी क्षण धनुष भंग हो गया और पूरा सभा मंडप जय श्री राम के उद्घोष से गूंज उठा ।इसके बाद लक्ष्मण परशुराम संवाद की लीला हुई।
सचिव अनिल खुराना ने बताया कि शनिवार को मंथरा कैकई संवाद, दशरथ कैकई संवाद, कौशल्या श्री राम संवाद और श्री राम वन गमन की लीला का मंचन आयोजित किया जाएगा ।