जयपुर। मन्दिर श्री सीताराम जी छोटी चोपड पर समाज श्री सीताराम जी की ओर से रामजी के तिलक मटकोर और मेहंदी का महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया। मन्दिर के नन्द किशोर शर्मा ने राम जी को नई पोशाक और आभुषणों से सजाया है। समाज श्री सीताराम जी के जनक की जगह उपाध्यक्ष श्री रामप्रसाद अग्रवाल ने रामजी के तिलक किया माला दूपटा पहनाया और मिठाई और पान खिलाकर वस्त्र और आभूषण से गोद भरी।
अंजु तिलक चढ़े रघुनंदन के चारों कूंवर बैठे छवि छहरत होत सुमंगला तैहि छन के तिलक के समय साधूं सन्तों ने वेदों मनत्रौ का उच्चारण किया। अयोध्या से आये हुए सभी संतों महंतों एवं सभी बरातियों को माला दूपटा वस्त्र और भेंट देकर रस्म अदा की। अयोध्या कि तरह से बृज बिहारी दुसाध और अनुराग खेतान ने मिठाई फल आभुषणों और सोने की जरी का बैस चढ़ायें कर सीता जी की गोद भराई रस्म अदा की।
समाज के रामशरण हल्दिया, अवधेश पोद्दार, महेश भगत, गोबिंद झालानी, केशव अग्रवाल, मनीष भुखमारीया ,प्रदीप सेठी ,लक्ष्मीनारायण काकडेवाले, जगदीश प्रसाद काकडेवाले और बिरजमोहन गोयल ने तिलक एवं मटकोर और मेहंदी के पद गाये।
आज सियाजू के ब्याह की लगनियाॆ ए सखी घर घर मंगल बाजन बाजऀ घनघोर, रंग रचनी महंदी सियाजी बाईसारा हाथ रचावौरी आनन्द आज जनकपुर आनन्द आनन्द है।
चलु चलु हे सहेली मटकोर करेला आहे युग युग सिया के सुहाग बढेला मिथिला पुरी में एक रीस्म है कि कन्या के फेरे कि बेदी बनने के लिए कमला नदी में जाकर पूजन करके मिट्टी लाई जाती है। उसी मिट्टी से बेदी बनाई जाती है उस क्रिया को मटकोर कहते हैं।
आज मिथिला कि सखियों ने सीता जी हाथ में सुन्दर मेहंदी लगाई और मेहंदी महोत्सव में सभी मिथिलानियो ने अपने अपने हाथों में मेहंदी लगा कर महेदी महोत्सव मनाया। माता सुनैना आज बहुत खुश हूं और अपने सभी देवी देवता को मना रही हैं और बेटी का लाड लड़ा रही है बेटी के लिए मोटे आटा का लड्डू जिसमें काजू बादाम पिस्ता केसर बढ़िया गाय का मिलाकर देवी देवताओं को भोग लगाकर सीता बेटी को खिलाकर उपर से केसर का दूध पिलाकर लाड लड़ाती ताकि बेटी झट मोटी हो जाय। दैखौ सुनेना मात लाड लड़ाव छै और मेवा गोद को लाड़ू खुवाव छै ।




















