हवन-भंडारे के साथ श्रीमद् भगवद कथा का समापन

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जयपुर। श्री जगद्गुरु परमार्थिक न्यास के तत्वावधान में गोविंद देवजी मंदिर के पास स्थित जगद्गुरु आश्रम में शनिवार से चल रही श्रीमद् भगवद कथा का शुक्रवार को हवन और भंडारे के साथ समापन हुआ। शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज के सान्निध्य में विद्वानों ने वेद मंत्रोच्चार के साथ हवन करवाया।

यजमानों ने विश्व कल्याण की कामना के साथ यज्ञ देवता को आहुतियां अर्पित की। हवन के बाद भागवत भूषण आचार्य डॉ ब्रजबिहारी एवं अन्य ने स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज का चरण प्रक्षालन किया। अन्य श्रद्धालुओं ने भी पूजन कर आशीर्वाद लिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान प्रांत प्रचारक निंबाराम, सुदामा एवं संघ के अनेक वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने शंकराचार्य से आशीर्वाद प्राप्त किया।

कथा के मुख्य यजमान चंद्र महेश झालानी ने सप्तनीक पूजन और हवन किया। मुख्य आयोजक सत्य नारायण तिवाड़ी एवं अन्य ने कथा में आरती उतारी। इससे पूर्व व्यासपीठ से भागवत भूषण आचार्य डॉ ब्रजबिहारी ने सुदामा चरित्र, भागवत सार, कलियुग वर्णन, नव योगेश्वर संवाद और परीक्षित मोक्ष की कथा का श्रवण कराया।

उन्होंने सुदामा चरित्र प्रसंग के दौरान कहा कि भगवान का भक्त गरीब हो सकता है लेकिन कभी दरिद्र नहीं हो सकता। सुदामा संतोषी थे, दरिद्र नहीं। कलियुग प्रसंग में उन्होंने कहा कि कलियुग में भगवान का नाम सुमिरण ही एकमात्र भव सागर से पार होने का जरिया है। स्वामी अक्षयानंद महाराज ने सभी का आभार प्रकट किया।

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