गीता गायत्री में श्रीमद भागवत कथा का आयोजन

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Shrimad Bhagwat Katha organized in Geeta Gayatri
Shrimad Bhagwat Katha organized in Geeta Gayatri

जयपुर। गलता गेट स्थित मंदिर श्री गीता गायत्री में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन हुए। व्यासपीठ से आचार्य राजेश्वर ने भागवत कथा में विदुर पत्नी द्वारा श्रीकृष्ण का सत्कार, वराह अवतार, हिरण्याक्ष वध, स्वायंभू मनु एवं शतरूपा के वंश, कपिल मुनि द्वारा देवहूति को उपदेश एवं अजामिल प्रसंगों पर प्रवचन किया। आचार्य राजेश्वर ने कहा कि भगवान मात्र भाव के भूखे हैं, इसलिए झोपड़ी में निवास करने वाली विदुर पत्नी के पास पहुंचकर उसका आतिथ्य सत्कार स्वीकार किया।

विदुर को श्री कृष्ण ने कहा कि मुझे अन्न, धन आदि कुछ भी नहीं चाहिए। यदि कोई व्यक्ति भाव से मुझे एक पुष्प भी देता एवं वह छल कपट छोडक़र मेरी शरणागति प्राप्त करता है और कहता है कि है प्रभु मैं आपका हूं तो वह मेरे लिए सबसे बड़ा सत्कार है। भक्तों के द्वारा प्रेम बंधन में बंधे होने के कारण ही अजन्मा कहलाने वाला परमात्मा मैं पृथ्वी पर अवतरित हो जाता हूं।

इसलिए कहा है भाव का भूखा हूं मैं और भाव ही बस सार है, भाव से मुझको भजो तो भव से बेड़ा पार है। प्रारंभ में पं. राजकुमार चतुर्वेदी एवं अन्य ने व्यासपीठ की आरती उतारी। रविवार को गजेंद्र मोक्ष, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, राम जन्म की कथा के बाद श्री कृष्ण का प्राकट्य और नंदोत्सव की कथा होगी।

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