जयपुर। राधेश्याम माहेश्वरी और चमेली देवी माहेश्वरी की पुण्य स्मृति में विद्याधरनगर सेक्टर दो के माहेश्वरी समाजोपयोगी भवन उत्सव में हो रही श्रीमद् भागवत कथा में बुधवार को रास लीला, कृष्ण का मथुरा गमन, रुकमणी विवाह के प्रसंग हुए।
व्यासपीठ से अकिंचन महाराज ने कहा कि रास लीला जीव और ब्रह्म का मिलन है। गोपियां और कोई नहीं वे ऋषि हैं जो ज्ञान से तृप्त नहीं हुए। भगवान का सामिप्य सुख पाने के लिए उन्होंने गोपी का रूप बनाया। कृष्ण-रूक्मणि विवाह के अवसर पर सजीव झांकी सजाई गई। महिलाओं ने वारफेरी कर भक्ति भाव से नृत्य किया।
आयोजक ज्ञान प्रकाश चांडक, डॉ. सुधा चांडक, संतोष, प्रभात, अरुण एवं अन्य ने व्यासपीठ की आरती उतारी। गुरुवार 13 जून को सुबह आठ से 11 बजे तक सुदामा चरित्र, नव योगेश्वर संवाद, चौबीस गुरुओं की कथा, परीक्षित मोक्ष, शुकदेव विदाई की कथा होगी। दोपहर 12 से एक बजे तक हवन होगा। कथा का आयोजन राधेश्याम माहेश्वरी और चमेली देवी माहेश्वरी की पुण्य स्मृति में किया जा रहा है।