दिवाली पर पटाखों के धुआं अस्थमा रोगियों पर बुरा असर डालता:डा. पिलानिया

0
40

जयपुर। दिवाली आने के साथ कुछ दिनों के लिए कई समारोह की तैयारी में व्यस्त हैं। लेकिन अस्थमा से पीड़ित लोग दिवाली से दूरी बनाए हुए है या फिर दूर जाने की कोशिश कर रहे है। दिवाली पर पटाखों के धुआं अस्थमा रोगियों पर बुरा असर डालता है। यह इतना बुरा हो जाता है की कई रोगियों को तो अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। पटाखों से उत्सर्जित गैसीय वायु प्रदूषक अस्थमा के रोगियों में अस्थमा के जोखिम को बढाते है। ऐसे प्रदूषकों में अस्थमा के नए मामले पैदा करने की क्षमता भी होती है।

पटाखे बचपन के ब्रोन्कियल अस्थमा के लिए उत्तेजक कारकों में से एक हैं, अब यह साबित हो चुका है की श्वसन रोगों के किसी भी पूर्व इतिहास के बिना 26 प्रतिशत लोगों को विशेष रूप से दिवाली के दौरान खांसी, घरघराहट और सांस फूलने के लक्षण विकसित होते हैं।

कारण यह है कि पटाखों में 75 प्रतिशत पोटेशियम नाइट्रेट, 15 प्रतिशत कार्बन और 10 प्रतिशत सल्फर होते हैं, और जब वे जलाए जाते हैं, तो हानिकारक गैसें जैसे कि सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, मैंगनीज और यहां तक कि कैडमियम, जैसी खतरनाक गैस निकलती है। जो नाक में जलन पैदा करती हैं। फेफड़ों के वायुमार्ग और फुफ्फुसीय रोगों जैसे अस्थमा, सी.ओ.पी.डी. रोग वाले लोगों की स्थिति खराब हो जाती है।

साथ ही, यह साल का वह समय भी है, जब मौसम में बदलाव होता है जो की एलर्जी में वृद्धि और सर्दियों की शुरुआत जैसे कारकों का एक संयोजन बनाता है जो अस्थमा रोगियों के लिए स्वस्थ रहना मुश्किल बना देता है।इस समय पेंटिंग, घर की सफाई और धूल शामिल है, जो अस्थमा और एलर्जी के रोगियों के लिए हानिकारक है।

इसलिए, स्वस्थ और खुश रहने के लिए डांस. विकास पिलानिया एलर्जी व अस्थमा रोग विशेषज्ञ मणिपाल हॉस्पिटल,जयपुर ने इन सब से बचने के लिए बताया की डस्ट से दूर रहें, कोशिश करें कि घर की सफाई प्रक्रिया में शामिल न हों। यदि सफाई करना आवश्यक हो, तो गीले पोछे या वैक्यूम क्लीनर का उपयोग करें। आप इन दिनों के दौरान एक मास्क भी अपने साथ रख सकते हैं, जिसे की जरुरत पडने पर आप प्रयोग में लें।अपने घर की खिड़कियों को उस अवधि के लिए बंद करें जब पटाखे बाहर फट रहे हों।

पौष्टिक भोजन खाएं जबकि भोजन एक अप्रत्याशित कारक की तरह लग सकता है, यह अस्थमा को नियंत्रित करने में एक बड़ी भूमिका निभाता है। आमतौर पर तैलीय भोजन या घी से भरी मिठाइयों वसा अधिक होती हैं, और इससे अस्थमा रोगियों की स्थिति और खराब हो सकती है। इसलिए घर का बना भोजन, ताजे फल और सब्जियों का पौष्टिक आहार लेना महत्वपूर्ण है।

अपने से छोटों का ख्याल रखें अस्थमा और ब्रोंकाइटिस एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार, बच्चों में अस्थमा की घटना लगातार बढ़ रही है। लगभग 10-12 प्रतिशत बच्चों को अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या अन्य श्वसन विकारों की शिकायत है और संख्या अगातार बढ़ रही है। इसलिए, पर्यावरण को बचाने और हमारे स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के बारे में बच्चों को शिक्षित करना आपकी जिम्मेदारी है।

अपने आप पर नियंत्रण रखें शराब और धूम्रपान से दूर रहना बेहतर है क्योंकि इससे बारहमासी एलर्जी राइनाइटिस का खतरा बढ़ सकता है। अपने डॉक्टर को सूचित रखें। यदि आपको दवा के बावजूद खांसी, घरघराहट, सांस फूलना जैसे किसी भी तीव्र और गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत उचित सलाह और उपचार के लिए निकटतम चिकित्सा देखभाल केंद्र में रिपोर्ट करें। रोगियों को अपनी दवाये व इनहेलर का प्रयोग नियमित करना चाहिये।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here