संदेशखाली में महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का प्रदेशव्यापी प्रदर्शन

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Statewide demonstration of Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad
Statewide demonstration of Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad

जयपुर। पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले की संदेशखाली में ममता बनर्जी सरकार के संरक्षण में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं के द्वारा दलित एवं पिछड़े समुदाय की महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार, उनकी जमीन को हथियाना और अनायास ही उनका शारीरिक व मानसिकरूप से प्रताड़ित करने के विरोध में अखिल भारतीय विद्याथर्थी परिषद के जयपुर प्रांत के कार्यकरताओं ने सभी जिलों के विश्वविद्यालय व कॉलेज परिसर में प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बाद पश्चिम बंगाल की वर्तमान स्थिति में सुधार और संदेशखाली के लोगों को न्याय मिले उस सन्दर्भ में सक्षम अधिकारी के द्वारा राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपा।

अभाविप के प्रांत मंत्री अभिनव सिंह ने बताया कि जिस प्रकार से पश्चिम बंगाल में महिलाओं के प्रति शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना की जा रही है और वहां की ममता सरकार किसी भी प्रकार की मदद करने की बजाय शेरख शाहजहां जैसे कुख्यात टीएमसी के गुंडों को संरक्षण देने का काम कर रही है। जो कि मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है। ममता बनर्जी महिला मुख्यमंत्री होकर भी महिलाओं की अस्मिता व मौलिक अधिकारों की रक्षा, न करना यह बताता है कि पश्चिम बंगाल में दरा-चारियों की सरकार में किस प्रकार का उन्माद है।

अभाविप सदैव मातृशक्ति के सम्मान की आवाज बनी है और भारत सरकार से आग्रह करती है कि इस गंभीर मामले में हस्तक्षेप करके संदेशखाली की महिलाओं को न्याय दिलाने का कार्य करें।
अभिनव सिंह ने बताया कि ज्ञापन में उन्होंने मांग की है राज्य सरकार की संलिप्तता को ध्यान में रखते हुए संदेशखाली के पूरे प्रकरण की उच्च-स्तरीय जांच केंद्रीय एजेंसियों द्वारा कराई जाए एवं दोषियों पर शीघ्र कार्रवाई की जाये। वहीं संदेशखाली की महिलाओं के ऊपर हो रही हिंसा एवं उनकी सामूहिक अस्मिता के हनन पर अविलम्ब अंकुश लगाया जाये।

साथ ही महिलाओं के ऊपर हुई हिंसा और दुराचार की घटनाओं की वास्तविकता को निर्भयता पूर्वक शासन, प्रशासन एवं न्यायिक संस्थानों तक पहुंचाने हेतु हेल्पलाइन नंबर उपलब्ध कराया जाना चाहिए। इसके अलावा .न्याय की सुगमता हेत् पीड़ित महिलाओं को निःशुल्क कान्नी सहायता प्रदान कराई जाये और वर्षों के मानसिक शोषण से धीरे-धीरे उबरने के लिए इन महिलाओं को मनोचिकित्सकों द्वारा परामर्श सत्रों की भी सविधा प्रदान की जानी चाहिए। वहीं भय-मुक्त संदेशखाली बनाने में केंद्रीय बलों की प्रतिनियुक्ति की जाये ताकि परिवारों के पलायन पर विराम लगाया जा सके।

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