जयपुर। राजस्थान में एक बार फिर “मरू प्रदेश” की मांग ने जोर पकड़ लिया है। हालांकि यह मांग पहले भी कई बार उठ चुकी है, लेकिन अब एक संगठित राजनीतिक दल द्वारा इसे ज़ोर-शोर से उठाने के बाद यह विषय दोबारा चर्चा में आ गया है। यदि अन्य क्षेत्रीय दल और सामाजिक संगठन भी इस पहल का समर्थन करते हैं, तो यह आंदोलन आने वाले समय में और मजबूती पकड़ सकता है।
इसी चलते सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राजस्थान प्रभारी सुभाष चंद्र यादव ने राजस्थान के पश्चिमी जिलों को मिलाकर एक अलग राज्य “मरू प्रदेश” बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र वर्षों से उपेक्षित रहा है और अब समय आ गया है कि इसे प्रशासनिक रूप से अलग पहचान दी जाए।
सुभाष चंद्र यादव का कहना है कि राजस्थान के पश्चिमी जिलों—जैसे जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, नागौर, जोधपुर, चूरू और श्रीगंगानगर—की भौगोलिक, सामाजिक और विकासात्मक परिस्थितियाँ बाकी राज्य से पूरी तरह भिन्न हैं। ऐसे में इन क्षेत्रों को एक अलग प्रशासनिक इकाई का दर्जा देना जरूरी हो गया है।
सुभाष चंद्र यादव ने स्पष्ट किया कि यह मांग केवल राजनीतिक एजेंडा नहीं, बल्कि क्षेत्र की भावनाओं और जरूरतों की अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा कि सुभासपा आने वाले समय में इस विषय पर जनजागरण अभियान भी चलाएगी।
उन्होंने बताया कि यह मांग पहले भी कई बार क्षेत्रीय नेताओं और संगठनों द्वारा उठाई जा चुकी है, लेकिन अब सुभासपा जैसी राष्ट्रीय स्तर की पार्टी के हस्तक्षेप से यह मुद्दा एक बार फिर चर्चा में आ गया है।
सुभाष चंद्र यादव ने यह भी कहा कि राजस्थान के इन जिलों को सदियों से उपेक्षा का सामना करना पड़ा है,और अब समय आ गया है कि “मरू प्रदेश” बनाकर वहां के लोगों को विकास और अधिकार की मुख्यधारा में लाया जाए।