जयपुर। माघ शुक्ल पक्ष सूर्य सप्तमी पर भगवान सूर्य नारायण की पूजा कर उन्हे आदित्य सहस्त्रनाम के पाठ किए गए। सूर्य सप्तमी पर ब्रह्म योग,भरणी नक्षण और कृत्तिका नक्षत्र में भक्तगणों ने सूर्य को प्रणाम कर अर्ध्य प्रदान किया । जल में लाल चंदन ,लाल पुष्प मिलाकर भगवान सूर्य नारायण को अर्ध्य अर्पित कर आरोग्य की कामना की। इस अवसर पर राजधानी के सूर्य मंदिरों में भी भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना कर उन्हे नवीन पोशाक धारण करवा विशेष झांकी और नगर भ्रमण का आयोजन किया गया।
सूर्य सप्तमी पर गायत्री मंदिरों में सूर्य नारायण मंत्रों के साथ आहुतियां अर्पित की गई। गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी ,मानसरोवर स्थित वेदना निवारण केंद्र में ओम आदित्याय विद्महे प्रभाकराय धीमहि तन्न: सूर्य प्रचोदयात् सूर्य गायत्री मंत्र के साथ सूर्य भगवान को आहुतियां अर्पित की गई। आत्मशुद्धि, आत्म-सम्मान, मन की शांति और आने वाले संकट टालने के लिए सूर्य गायत्री मंत्र का जाप भी किया। ज्योतिषाचार्य राजेंद्र शास्त्री ने बताया कि सप्तमी तिथि सूर्यदेव को अतिप्रिय है। इसलिए लोगों ने सुबह नहाकर तांबे के लोटे में जल, लाल चंदन, चावल,लाल फूल और कुशा डालकर प्रसन्न मन से सूर्य की ओर मुख सूर्य मंत्र का जप करते हुए अघ्र्य प्रदान किया। अघ्र्य देकर लाल पुष्प अर्पित किया।
इसके मंदिर भगवान सूर्य की साक्षी में आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ किया। कई लोगों खासकर नीरोग जीवन की कामना करने वालों ने शुक्रवार को सूर्यदेव के निमित्त व्रत भी रखा। शास्त्रों के अनुसार सूर्य सप्तमी को सूर्य भगवान के निमित्त व्रत करने से हर तरह की शारीरिक पीड़ा से मुक्ति मिलती और काया निरोगी रहती है। साथ ही मान-सम्मान, धन-यश और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति भी होती है। श्रद्धालुओं ने सूर्य से संबंधित तांबे का बर्तन, पीले या लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, माणिक्य, लाल चंदन का दान भी किया।