मातमी धुनों के बीच निकले ताजिए, कर्बला में हुए ताजिये सुपुर्द-ए-खाक

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जयपुर। इस्लाम धर्म के पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाए जाने वाले मोहर्रम पर्व पर रविवार को राजधानी जयपुर में ढोल-ताशों की मातमी धुनों के बीच सैकडों की संख्या में ताजियों के जुलूस निकाले गए। यह जुलूस शहर के मुस्लिम बहुल इलाकों जैसे शास्त्री नगर, झोटवाड़ा, हसनपुरा, तोपखाना, घाटगेट, रामगंज, जालूपुरा, हमीद नगर और आदर्श नगर से निकले।

ये सभी ताजिये चांदपोल, छोटी चौपड़ और बड़ी चौपड़ होते हुए रामगढ़ मोड़ स्थित कर्बला मैदान पहुंचे। जहां उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया। परकोटे क्षेत्र में ताजियों के जुलूस के मद्देनजर प्रशासन ने यातायात को डायवर्ट कर दिया था। बड़ी चौपड़ और आसपास के क्षेत्रों को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था।जुलूसों के साथ पुलिस टीमें लगातार तैनात रहीं।

पन्नीगरान और तवायफों का ताजिया आकर्षण का केंद्र

इस बार पन्नीगरों और तवायफों का ताजिया लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा. यह दोनों ताजिये 21 फीट से भी अधिक ऊंचाई पर बनाए गए थे। इनके अलावा भी कई इलाकों से निकले ताजिये अपनी भव्यता और सुंदर सजावट के चलते लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे थे। इन ताजियों के निर्माण में बांस की खपच्चियों, अभ्रक, कागज और पॉलिथीन का उपयोग किया गया।

मातमी धुनों के साथ ताजिये निकाले गए

ताजियों के रास्ते में जगह-जगह पर पानी और शरबत की छबीलें लगाई गईं। वहीं मुस्लिम घरों में विशेष व्यंजन ‘हलीम’ तैयार किया गया, जिसमें कई अनाज और दालें मिलाई जाती हैं। मोहर्रम की 9वीं और 10वीं तारीख को मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं और इबादत में समय बिताते हैं। इससे पहले मोहर्रम की 9वीं तारीख जिसे ‘कत्ल की रात’ कहा जाता है, उस रात भी बड़ी चौपड़ पर हजारों की संख्या में मोहर्रम पहुंचे थे, जिन्हें देर रात तक उनके स्थानों पर वापस ले जाया गया।

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