जयपुर। राज्य सरकार और चिकित्सकों के बीच ‘स्वास्थ्य का अधिकार’ बिल को लेकर बनी सहमति को एक साल बीत जाने के बाद भी लागू नहीं की है। इस मामले को लेकर गुरुवार को जेएमए सभागार में आईएमए, और जेएमए के प्रतिनिधियों ने प्रेस वार्ता की है।
प्रदेश के आईएमए अध्यक्ष डॉ. रजनीश शर्मा ने बताया कि आरटीएच बिल को लेकर निजी चिकित्सकों के बीच एक वर्ष पूर्व सरकार से समझौता हुआ था। लेकिन लेकिन एक साल बीत जाने के बावजूद भी निजी अस्पतालों की मांगो के नियम लागू नहीं किए गए है। समझौते में इस बिंदु पर भी सहमति व्यक्त की गई कि प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर चल रहे अस्पतालों का ‘‘कोटा मॉडल‘‘ की तर्ज पर नियमितीकरण करने पर विचार किया जाएगा।
कोटा मॉडल के तहत उन अस्पतालों के भवनों को नियमों में शिथिलता प्रदान कर नियमित करने पर विचार किया जाएगा, जो आवासीय परिसर में चल रहे हैं। इस इस मौके पर आईएमए उपाध्यक्ष डॉ. राहुल कट्टा, कोषाध्यक्ष डॉ. एन के अग्रवाल, जेएमए अध्यक्ष डॉ. तरुण ओझा, सचिव डॉ. अनुराग शर्मा उपस्थित रहे।
ये नियम होने थे लागू, नहीं ली सरकार ने सुध
समझौते के अनुसार आंदोलन के दौरान दर्ज पुलिस और अन्य केस वापस लिए जाएंगे। निजी अस्पतालों को लाइसेंस और अन्य स्वीकृतियां जारी करने के लिए सिंगल विण्डो सिस्टम लाए जाने पर विचार किया जाएगा। निजी अस्पतालों को फायर एनओसी प्रत्येक पांच साल में देने के बिंदु पर विचार किया जाएगा। साथ ही यह भी सहमति व्यक्त की गई कि भविष्य में स्वास्थ्य के अधिकार कानून से संबंधित नियमों में बदलाव आईएमए के प्रतिनिधियों से चर्चा कर किया जाएगा। जो अब तक लागू नहीं किया गया है।




















