Rakshabandhan Special: राखी बांधने के लिए तीन घंटे 47 मिनट का सबसे सर्वश्रेष्ठ समय

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जयपुर। भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक पर्व 19 अगस्त यानी सोमवार को लंबे समय बाद विशेष योग संयोगों के बीच मनाया जाएगा। पर्व की रौनक चारदीवारी सहित अन्य बाजारों में देखने को मिल रही है। एक से बढ़कर एक राखियों की खरीदारी बहनों की ओर से की जा रही है। ज्योतिषविदों के मुताबिक पर्व 30 साल बाद विशेष योग भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बनाएगा। पर्व पर रवि योग, शोभन योग और श्रवण नक्षत्र का महासंयोग के साथ ही सावन का अंतिम सोमवार रहेगा। ऐसे में भाइयों पर आने वाली सभी बाधाएं दूर होगी और उन्हें आरोग्य होने का वरदान भी मिलेगा।

ज्योतिषाचार्य पंडित बनवारी लाल शर्मा के मुताबिक सभी योग मिलकर इस दिन को बेहद शुभ बना रहे हैं। 18 अगस्त को रात 3.05 बजे से लेकर 19 अगस्त तक 1.30 बजे तक भद्रा रहेगी। भद्रा काल में रक्षा सूत्र बांधना शुभ नहीं रहेगा। भद्रा टाल कर अपराह्न काल, प्रदोष काल में दोपहर 1.48 से शाम 4.22 बजे तक और शाम 6.57 से लेकर रात 9.10 बजे तक मुहूर्त रखेगा। कुल तीन घंटे 47 मिनट का समय राखी बांधने के लिए रहेगा। चार साल बाद सावन के सोमवार को पर्व मनाया जाएगा।

ऐसे समझें पर्व पर ग्रहों का संयोग

शर्मा ने बताया कि पर्व पर 30 साल बाद सूर्य और शनिदेव यानी पिता-पुत्र स्वराशि सिंह -कुंभ राशि में विराजमान रहेंगे। इसके साथ ही सूर्य और बुध सिंह राशि में रहने से बुधादित्य का योग निर्माण होगा। इससे आगामी समय राशि में होना प्रजा के लिए सुख समृद्धि और व्यापारिक क्षेत्र में प्रगति दायक रहेगा।

श्रावणी उपाकर्म भी 19 अगस्त को

शर्मा के मुताबिक ग्रह नक्षत्र का एक राशि में होना सभी के लिए शुभ रहेगा। धनिष्ठा नक्षत्र, शोभन योग, श्रावण का आखिरी सोमवार के साथ ही श्रावणी उपाकर्म इस दिन होगा। शास्त्र अनुसार होलिका दहन और रक्षाबंधन का पर्व भद्रा में मनाना वर्जित है। सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए सभी कार्य सफल होते हैं।

रवियोग योग सूर्यदेव से जुड़ा है और यह योग व्यक्ति को बल, स्वास्थ्य और मान-सम्मान दिलाता है। शोभन योग सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए अच्छा रहने के साथ ही श्रवण नक्षत्र ज्ञान, बुद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है। यह चारों योग एक साथ बनते हैं। उक्त योग सुबह से लेकर रात तक रहेंगे।

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