साधना की शक्ति से ही होगा अनास्था संकट निवारण, भारत बनेगा विश्वगुरु

0
448
The crisis of disbelief will be resolved only by the power of sadhana
The crisis of disbelief will be resolved only by the power of sadhana

जयपुर। विश्वव्यापी अनास्था संकट निवारण और भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के लिए गायत्री परिवार द्वारा अगले माह के प्रथम सप्ताह से शुरू होने वाले सामूहिक साधना महाअनुष्ठान के लिए जयपुर में घर-घर जाकर पीले चावल बांटे जा रहे हैं। मानसरोवर, दुर्गापुरा, प्रतापनगर, सांगानेर, करधनी, मुरलीपुरा, गांधीनगर, वैशालीनगर में गायत्री परिवार के कार्यकर्ताओं की करीब एक हजार टोलियों ने अब तक करीब दस हजार घरों में पीले चावल बांट दिए हैं।

दीपावली तक एक लाख घरों तक का जन संपर्क का लक्ष्य तय किया गया है। पीले चावल के साथ देव स्थापना का चित्र, गायत्री चालीसा, सद्वाक्य स्टीकर और सामूहिक साधना की जानकारी देने वाला एक पत्रक भी दिया जा रहा है। करीब चालीस रूपए की यह सामग्री लोगों को निशुल्क दी जा रही है। आमजन को सामूहिक साधना से जोडऩे के उद्देश्य से किए जा रहे जन संपर्क अभियान में आम लोगों के साथ विशिष्टजनों को भी निमंत्रित किया जा रहा है। विभिन्न मंदिरों के महंत, समाजों के मुखिया, संस्थाओं के प्रमुख पदाधिकारियों से गायत्री परिवार का प्रतिनिधि मंडल मिलकर अपने अनुयायियों को सामूहिक साधना के लिए प्रेरित करने का आह्वान कर रहा है।

गायत्री परिवार राजस्थान के समन्वयक ओमप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि छह नवम्बर को शांतिकुंज हरिद्वार से लाए गए सात ज्योति कलश सात रथों के माध्यम से प्रदेश के 45 हजार गांवों में भेजे जाएंगे। गायत्री परिवार के युवा मनीषी डॉ. चिन्मय पंड्या 6 नवंबर को सातों रथों की पूजा करके रवाना करेंगे।

जयपुर में यह रथ गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी आएगा। यहां से करीब चालीस दिन तक पूरे जयपुर जिले में भ्रमण करेगा। सुबह सात से शाम सात बजे तक रथ अलग-अलग कॉलोनियों से गुजरेगा। रथ के साथ गायत्री परिवार के स्थानीय कार्यकर्ता वाहन रैली के रूप में चलेंगे। इस दौरान रथ के पड़ाव स्थल पर पंच कुंडीय गायत्री महायज्ञ और दीपयज्ञ भी होंगे।

गायत्री मंत्र की साधना से बढ़ेगा आत्मबल:

गायत्री परिवार प्रमुख प्रणव पंड्या के मुताबिक समाज को जाति और वर्ग में बांटने की साजिश हो रही है। प्राकृतिक आपदाओं से जनहानि हो रही है। इसलिए शांतिकुंज की ओर से घर-घर में साधना का वातावरण निर्मित किया जाएगा, जिसमें लोग रोजाना एक माला गायत्री मंत्र या गायत्री चालीसा का पाठ या एक पेज गायत्री मंत्र लेखन के विकल्पों में से कोई एक विकल्प चुन कर साधना प्रारंभ कर सकेंगे। साधना की पूर्णाहुति बसंत पंचमी 2026 को होगी। इस महा अनुष्ठान के माध्यम से न केवल देश सुरक्षित होगा, बल्कि व्यक्तिगत के जीवन से कष्ट और कठिनाइयां भी कम होंगी। दैविक अनुदान-वरदान भी मिलेंगे। गायत्री मंत्र की साधना से व्यक्ति का आत्मबल बढ़ता है और विवेक जाग्रत होता है।

एक मुट्ठी अनाज या एक रूपए का अंशदान:

साथ ही हर व्यक्ति और साधक को रोजाना कम से कम एक मुट्ठी अनाज अथवा एक रुपया अंशदान का निकालना होगा। यह राशि साधक पौधरोपण, साहित्य वितरण, गरीब लडक़ी के विवाह सहित किसी भी परोपकारी कार्य में खर्च कर सकते हैं। राशि शांतिकुंज हरिद्वार भी भिजवाई जा सकती है।

पूर्णाहुति पर होंगे बड़े आयोजन:

पं. श्रीराम शर्मा की सहधर्मिणी भगवती देवी शर्मा का जन्म 1926 में हुआ था। दो साल बाद उनकी जन्म शताब्दी है। वे जीवन पर्यन्त युग निर्माण आंदोलन को चरम पर पहुंचाने में लगी रहीं और गायत्री परिवार का संचालन करती रही। विश्व में अश्वमेध यज्ञों का संचालन किया। गायत्री परिवार का पहला अश्वमेध महायज्ञ 1992 में जयपुर में अमरूदों के बाग में भगवती देवी शर्मा के सान्निध्य में ही हुआ। उन्होंने की ब्रह्मपुरी में गायत्री शक्तिपीठ का उद्घाटन किया।

उनकी जन्म शताब्दी भी 2026 में ही आ रही है। तब तक यह अनुष्ठान चलाया जाएगा। गायत्री परिवार के सूत्र संचालक पं. श्रीराम शर्मा ने बसंत पंचमी-1926 से आंवलखेड़ा स्थित अपने घर की एक कोठरी में अखण्ड दीपक प्रज्वलित कर साधना प्रारंभ की। यह दीपक उनकी साधना पूर्ण होने के बाद भी शांतिकुंज हरिद्वार में 98 वर्ष से अखण्ड प्रज्वलित है। दो साल बाद 2026 में इसे 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे। इसलिए 2026 में प्रदेश में कई स्थानों पर 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ होंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here