जयपुर। राजधानी में सोमवार को तेज बारिश से जहां एक ओर मौसम सुहावना हो गया है और लोग बारिश का जमकर मजा लिया । वहीं दूसरी ओर रावण बनाने के काम में जुटे कारीगरों पर गाज गिर गई है। तेज बारिश की वजह से उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर गया है और वे अपने आप को ठगा सा महसूस करने लगे।
अगर बारिश कुछ दिन और न आती तो उनकी मेहनत का पूरा फल उन्हें मिल जाता। 24 अक्टूबर को दशहरा है और इससे पहले तेज बारिश की वजह से रावण पूरी तरह से भीग गए हैं। ये आकार में इतने बड़े होते हैं कि इन्हें संभालकर रखना मुश्किल होता है। रावण के पुतलों को लकड़ी और कागज से तैयार किया जाता है ऐसे में जैसे ही इन पर पानी गिरता है तो ये खराब हो जाते हैं।

करीब 150 परिवारों की मेहनत हुई खराब
रावण बनाने के काम में जुटे खानाबदोश लोगों को विजयादशमी का बेसब्री से इंतजार रहता है। बिना घर-बार वाले ये खानाबदोश दशहरा पर हजारों रुपए का रावण बनाकर लाखों रुपए में बेच देते हैं, जो इनका अन्नदाता है, इसलिए वे सुबह उठते ही उसकी पूजा करते हैं। रावण मंडी मानसरोवर में करीब 150 परिवार पिछले तीन माह से रावण व कुंभकरण के पुतले तैयार करने में जुटे हुए थे। लेकिन अब बारिश ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है और उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वे अब कैसे पूरे साल का गुजारा करेंगे।
रावण मंडी के अध्यक्ष जोगीराम ने बताया कि प्रदेश के बाहर से आए कई कारीगरों की रोजी रोटी बारिश के चलते छिन गई। दस से पन्द्रह मिनट तक हुई तेज बारिश के चलते रावण के पुतले खराब हो गए। जिससे कई महीनों से रावण के पुतले तैयार करने में जुटे मजदूरों की मेहनत और लागत कुछ घंटों की बारिश में खराब हो गई।
छोटे पुतलों को तो भीगने से बचा लिया, ज्यादातर बड़े पुतले भीग गए। यहां कहीं भी पुतलों को रखने के लिए छत की व्यवस्था नहीं है। अनुमान के मुताबिक करीब 50 फीट तक के 1500 से ज्यादा पुतले भीग गए।