जयपुर। जरुरतमंदों को दान, पवित्र नदियों में स्नान और पतंगबाजी के त्रिवेणी संगम का पर्व मकर संक्रांति मंगलवार, 14 जनवरी को धूमधाम से मनाया जाएगा। सोमवार को देर रात तक लोगों ने पतंग और चरखी खरीदी। सभी बाजार ग्राहकों से आबाद रहे। हांडीपुरा में पैर रखने की भी जगह नहीं बची। उधर, पुरोहित जी कटला में मकर संक्रांति पर दान करने के सामान की बिक्री परवान पर रही। दुकानदारों ने 14-14 सामान के सैट बनाकर रखे।
मंगलवार को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से खरमास समाप्त हो जाएगा। एक बार फिर मांगलिक आयोजन शुरू हो जाएंगे। ग्रह-नक्षत्र के विशेष योग-संयोग होने से मकर संक्रांति बेहद खास हो गई है। ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि सुबह से शाम तक पर्व का पुण्यकाल रहेगा। 14 जनवरी की सुबह 8:55 बजे सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
सुबह राशि परिवर्तन करने से संक्रांति का पुण्यकाल सूर्योदय से सूर्यास्त तक यानि सुबह 7:21 से शाम 5:50 तक बजे रहेगा। महापुण्यकाल सुबह 9:03 से 10:52 बजे तक रहेगा। इस दौरान धर्म-पुण्य कार्य करना अधिक फलदायी रहेगा। पुनर्वसु नक्षत्र, कुमार योग सहित अन्य संयोग पर्व की महत्ता को खास बनाएंगे। मकर संक्रांति को गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व रहेगा। माना जाता है कि जरूरतमंदों को दान करने से उसका सौ गुना पुण्य फल प्राप्त होता है।
संक्रांति पीले परिधान में बाघ पर सवार होकर आएगी। इसका अर्थ हुआ कि इस बार मकर संक्रांति शिक्षित वर्ग के लोगों के लिए मंगलयम होगी। संक्रांति धोबी के घर में प्रवेश करेगी। वार नाम के अनुसार महोदरी रहेगा। इससे लूटपाट की घटनाएं बढऩे के आशंका है। इस साल की मकर संक्रांति विद्वान और शिक्षित वर्ग के लोगों के लिए काफी अच्छा रहने के आसार हैं। व्यापारियों और कारोबारी लोगों को वस्तुओं की लागत कम होने से कुछ लाभ होने की संभावना है। अधिकांश लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मधुरता आएगी। देश के अनाज के भंडारण में वृद्धि होगी।