जयपुर। बहन-भाई के पवित्र स्नेह का पर्व रक्षाबंधन शनिवार को पूरे उल्लास, प्रेम और आध्यात्मिक उत्साह के साथ मनाया गया। रक्षाबंधन के दिन भद्रा नहीं रहने के कारण दिनभर और देर शाम तक राखी बांधने का सिलसिला चलता रहा। मौसम सुहाना और हवाएं हल्की ठंडी रहीं, जिससे बहनों को भाई के घर आने-जाने में कोई परेशानी नहीं हुई। सुबह से ही शहर की कॉलोनियों और गलियों में रक्षाबंधन की रौनक छा गई।
सडक़ों पर रंग-बिरंगे परिधानों में सजी बहनें और उनके साथ उपहार लिए बच्चे नजर आ रहे थे। पूरे दिन शहर का माहौल खुशनुमा और उत्साहपूर्ण बना रहा। त्योहारी माहौल का सभी ने आनंद उठाया। राखी बंधवाकर सभी ने सोशल मीडिया पर शेयर किया। रक्षाबंधन से पूर्व द्वारों पर शगुन पूजन हुआ। सबसे पहले घर के मंदिर में भगवान को राखी बांधी गई।
बच्चों में राखी को लेकर भारी उत्साह देखने को मिला। बच्चों ने कार्टून राखी बंधवाई। शुभ चौघडिय़ा, चर, लाभ एवं अमृत चौघडिय़ा में और शाम को लाभ चौघडिय़ा में राखी बांधी गई। चूंकि इस वर्ष भद्रा काल नहीं था, इसलिए बहनों को दिनभर अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने का अवसर मिला। कई परिवारों में तीन से चार पीढिय़ों ने एक साथ रक्षाबंधन का पर्व मनाया।
शुभ योग संयोग ने बढ़ाई पर्व की शुभता
श्रवण नक्षत्र, सौभाग्य योग, शनिवार का दिन, मकर राशि में चंद्रमा और पूर्णिमा तिथि का अद्भुत संयोग 297 वर्ष बाद बनने से इस बार रक्षाबंधन का पर्व बेहद खास बन गया। 1728 में भी सूर्य कर्क, चंद्र मकर, मंगल कन्या, बुध कर्क, गुरु और शुक्र मिथुन, राहु कुंभ तथा केतु सिंह राशि में थे।
सभी में दिखा उत्साह-जोश
छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग महिलाओं तक, सभी में रक्षाबंधन का उत्साह देखने लायक था। कई परिवारों में पारंपरिक व्यंजन, मिठाइयां और विशेष पकवान तैयार किए गए। बुजुर्ग माताओं और दादियों ने भी अपने भाइयों और भतीजों को राखी बांधकर इस परंपरा में अपनी भागीदारी निभाई।
रक्षाबंधन के दिन गोविंद देवजी मंदिर, काले हनुमान जी मंदिर, मोती डूंगरी गणेश मंदिर और अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों पर विशेष पूजा-अर्चना कर ठाकुरजी को रक्षा सूत्र बांधे गए। मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ रही, जहां भाई-बहन भगवान के चरणों में रक्षा और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद लेने पहुंचे।