समाज का भला संविधान संस्कृति से होगा, मनुस्मृति संस्कृति से नहीं : आशा लता कांबले

0
166

जयपुर। अखिल भारतीय डॉ अंबेडकर महात्मा ज्योतिबा फुले साहित्य अकादमी राजस्थान की ओर से आयोजित “आओ चले अंबेडकर-फूले-बुद्ध की ओर” 10 वें बौद्ध धम्म सम्मेलन का आयोजन अंबेडकर पार्क महेश नगर में आयोजित हुआ । जिसमें डॉ भीमराव अंबेडकर की “मुक्ति कौन पथे ?” पुस्तक का विमोचन किया गया।

सम्मेलन के मुख्य अतिथि महात्मा ज्योतिबा फुले के छठे वंशज प्रशांत यतीश फूले ने कहा कि फुले के सिद्धांतों एवं बाबा साहब के संविधान ने देश में समता, समानता,न्याय एवं स्वतंत्रता दी हैं हमे संविधान की रक्षा करनी होगी।

मुख्य वक्ता प्रोफेसर आशा लता कामबले (मुंबई) ने कहा कि मनुस्मृति के नाम की संस्कृति को दिमाग से निकालनी चाहिए समाज का भला संविधान संस्कृति से होगा मनुस्मृति संस्कृति से नहीं। विशिष्ट अतिथि जाट महासभा के प्रदेशाध्यक्ष राजाराम मील, राजस्थान प्रदेश माली सैनी महासभा के महामंत्री भवानी शंकर माली,मेघवाल समाज के अध्यक्ष रामेश्वर लाल सेवार्थी ने भी अपने विचार रखे।

सम्मेलन में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली का संदेश पढ़कर सुनाया तथा भीमराव अंबेडकर द्वारा 6 दिसम्बर 1986 में लिखित पुस्तिका “मुक्ति कौन पथे ?” का विमोचन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रमेश सैनी फरमें वाले ने की।

संयोजक पूरण सिंह मौर्य, सह संयोजक मेहता राम काला ने बताया कि “मुक्ति कौन पथे ?” पुस्तक राजस्थान सहित अन्य प्रदेशों में वितरित कर बुद्ध,फुले, अंबेडकर के विचारों को जन जन तक पहुंचाया जाएगा जिससे समाज में समता, समानता,बंधुत्व, न्याय, स्वतंत्रता मिल सके। इस मौके पर जे सी आर्य, बिरदी चंद सिंगोदिया, शीला सैनी,मुकेश वर्मा सहित गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here