त्रिदिवसीय गीता ज्ञान शिविर का भव्य शुभारंभ

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जयपुर। ब्रह्माकुमारीज़ जयपुर सबज़ोन के अंतर्गत वैशाली नगर एवं बनीपार्क केंद्रों पर आयोजित त्रिदिवसीय गीता ज्ञान शिविर का आज भव्य शुभारंभ हुआ। शुभारंभ सत्र में राजस्थान सरकार की पूर्व उद्योग मंत्री श्रीमती शकुंतला रावत, आईआरएस श्री गौरव कुमार, जयपुर सबज़ोन प्रभारी राजयोगिनी सुषमा दीदी तथा मुख्य वक्ता राजयोगिनी वीणा दीदी की गरिमामयी उपस्थिति रही।

गीता जीवन को श्रेष्ठ दिशा देती है : शकुंतला रावत

पूर्व उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने अपने उद्बोधन में कहा कि “श्रीमद्भगवद्गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की दिव्य कला है। आज के तनावग्रस्त समय में गीता का ज्ञान व्यक्ति को आत्मबल, संतुलन एवं सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है।”
उन्होंने ब्रह्माकुमारीज़ संस्था द्वारा समाज में नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों के प्रसार हेतु किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।

गीता ज्ञान से आत्मिक सशक्तिकरण : राजयोगिनी सुषमा दीदी

जयपुर सबज़ोन प्रभारी राजयोगिनी सुषमा दीदी ने कहा कि “गीता का सार कर्मयोग और आत्मचेतना है। जब मनुष्य स्वयं को आत्मा समझकर कर्म करता है, तब उसके जीवन में शांति, पवित्रता और स्थिरता स्वतः आ जाती है।” उन्होंने बताया कि यह शिविर गीता के गूढ़ रहस्यों को सरल एवं व्यावहारिक रूप में समझाने का प्रयास है।

राजयोग से श्रेष्ठ कर्मों की प्रेरणा : राजयोगिनी वीणा दीदी

मुख्य वक्ता राजयोगिनी वीणा दीदी ने कहा कि “गीता ज्ञान मनुष्य के विचारों, दृष्टि और कर्मों को श्रेष्ठ बनाता है। राजयोग के अभ्यास से व्यक्ति आंतरिक शांति का अनुभव करता है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है।” उन्होंने कहा कि आज समाज को गीता के व्यावहारिक संदेशों को अपनाने की अत्यंत आवश्यकता है।

अगले दो दिन तक जारी रहेगा शिविर

वैशाली नगर प्रभारी राजयोगिनी चंद्रकला दीदी एवं बनीपार्क प्रभारी राजयोगिनी लक्ष्मी दीदी ने बताया कि शिविर का शुभारंभ अत्यंत भव्य रूप से हुआ है तथा यह गीता ज्ञान शिविर आगामी दो दिनों तक निरंतर जारी रहेगा, जिसमें गीता के आध्यात्मिक रहस्यों, वर्तमान जीवन में उनके उपयोग एवं आंतरिक शांति पर विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे।

इस अवसर पर जयपुर शहर के गणमान्य नागरिकों, समाजसेवियों एवं बुद्धिजीवियों ने बड़ी संख्या में सहभागिता की। कार्यक्रम में हजारों की उपस्थिति ने आयोजन को अत्यंत सफल एवं प्रभावशाली बना दिया। कार्यक्रम का समापन शांति संदेश एवं ईश्वरीय अनुभूति के साथ हुआ।

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