देव उठनी ग्यारस पर शहर में फिर से गूंजेगी शहनाई की धुन

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24 couples became companions in mass marriage ceremony ​
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जयपुर। देवशयनी एकादशी से शेषनाग की शैया पर योग निद्रा में सो रहे भगवान श्रीहरि विष्णु मंगलवार को देव उठनी एकादशी पर जागेंगे। इसके साथ ही चार महिने बाद फिर से मांगलिक कार्यक्रमों की शहनाइयां बजने लगेंगी। देव उठनी एकादशी को स्वयं सिद्व अबूझ मुहूर्त होने से शादी-ब्याह की धूम रहेगी। हालांकि इस बार नवंबर माह में 12, 13, 16, 18,22,23,25,26,28 और 29 नवम्बर को विवाह के लिए शुद्ध सावे होंगे। मंगलवार से ही शादी ब्याह के लिए सावों की धूम शुरू हो जाएगी। शास्त्रों के अनुसार देव एकादशी से सोए हुए देव जाग जाने के बाद से ही चातुर्मास से बंद पड़े शुभ कार्यों की पुनरू शुरूआत हो जाती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार देव प्रबोधिनी एकादशी को अबूझ सावे की स्थिति रहने के कारण इस दिन सावों की धूम रहेगी। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देव दीपावली काफी शुभ माना जाता है इस दिन भी काफी जोड़े परिणय सूत्र में बधेंगे।

कई जगह होगे तुलसी विवाह

भगवान विष्णु के स्वरुप शालिग्राम और माता तुलसी के मिलन का पर्व तुलसी विवाह हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन मनाए जानेवाले इस मांगलिक प्रसंग के सुअवसर पर भक्तगण घर की साफ-सफाई करते हैं और रंगोली सजाते हैं। शाम के समय तुलसी चौरा यानि तुलसी के पौधे के पास गन्ने का भव्य मंडप बनाकर उसमें साक्षात नारायण स्वरुप शालिग्राम की मूर्ति रखते हैं और फिर विधि-विधानपूर्वक उनके विवाह को संपन्न कराते हैं। तुलसी विवाह के सुअवसर पर व्रत रखने का बड़ा ही महत्व है। आस्थावान भक्तों के अनुसार इस दिन श्रद्धा-भक्ति और विधि पूर्वक व्रत करने से व्रत करने वाले को इस जन्म के साथ-साथ पूर्वजन्म के भी सारे पाप मिट जाते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है।

मंदिरों में होंगे धार्मिक कार्य

देव उठनी ग्यारस के अवसर पर कई मन्दिरों में धार्मिक कार्यक्रम होगे व भगवान अभिषेक किया जाएगा और उन्हे नई पोशाके धारण करवाई जाएगी। मन्दिरों सजेगी भगवान की विशेष झांकी।

कई जगह होगे बाल विवाह

देवउठनी ग्यारस के अबूझ सावा होने के कारण शहर के बाहरी इलाकों में इस असवर पर कई बाल विवाह होगे और कई नाबालिग परिणय सूत्र में बधेगे। क्यों कि ग्रामीण लोग देवउठनी ग्यारस को शुभ मानते है।

बाल विवाह को रोकने के लिए प्रशासन तैयार

देवउठनी एकादशी पर लंबे समय से विवाह मुहूर्त न होने के कारण और अबूझ सावा होने की वजह से ग्रामीण इलाकों में बाल विवाह कराए जाते है। इन बाल विवाहों को रोकने के लिए प्रशासन और पुलिस पूरी तरह तैयार है। जिससे इस दिन होने वाले बाल विवाह पर पूरी तरह रोक लगाई जा सके। इसके लिए प्रशासन और पुलिस ने एक विशेष टीम गठित की है। इसके अलावा प्रशासन ने सभी जिला स्कतरों पर निर्देश जारी किये है कि बाल-विवाह की सूचना पर तुरन्त पहुंच कर कार्यवाही की जाए। ऐसा करता कोई भी पाया गया तो उसकी खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

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